व्यंजन की परिभाषा | व्यंजन वर्ण किसे कहते है – Vyanjan In Hindi
Hindi Grammar के इस भाग मे आप जानेंगे कि Vyanjan In Hindi Varnmala मे क्या होता है तथा Vyanjan Kise Kahte Hain, व्यंजन के प्रकार, व्यंजन का उच्चारण स्थान आदि सबकी जानकारी आपको इस पोस्ट मे मिलेगी। तो चलिए जानते है इसके बारे में।
इसको पढ़ने के बाद आप Vyanjan worksheets for class 9, 10, 11, 12, 8 आदि कक्षाओं के साथ-साथ UPTET, UP PET, UPSSSC Lekhpal जैसे सभी परीक्षाओं मे काफी मदद करेगा। तो इसको पूरा जरूर पढ़ें।
Vyanjan Ki Paribhasha – Vyanjan In Hindi Varnmala
व्यंजन की परिभाषा – वे ध्वनियाँ जो बिना स्वरों की सहायता के उच्चारित नहीं हो सकती है, उसी प्रकार के ध्वनियाँ को ही व्यंजन कहते है। इसे, इस तरह भी कह सकते है कि, जिन ध्वनियों के उच्चारण मे हवा मुख द्वार से अबाध गति से नहीं निकलती, वरन् उसमें पूर्ण या अपूर्ण अवरोध होता है, तो वह व्यंजन होता है।
जैसे- ज = ज् + अ, क= क् + अ।
यहाँ याद रहे जब व्यंजनों के नीचे ( ् ) लगता है तो उन्हे आधा माना जाता है और व्यंजन का उच्चारण बिना (अ) के नहीं होता है। हिंदी मे व्यंजनों की संख्या 33 मानी जाती है, परन्तु ड़, ढ़ के जुड़ने पर यह संख्या 35 हो जाती है।
- क वर्ग – क, ख, ग, घ, ङ
- च वर्ग – च, छ, ज, झ, ञ
- ट वर्ग – ट, ठ, ड, (ड़), ढ (ढ़), ण
- त वर्ग – त, थ, द, ध, न
- प वर्ग – प, फ, ब, भ, म
- अंतःस्थ व्यंजन – य, र, ल, व
- ऊष्म व्यंजन – श, ष, स, ह
- संयुक्त व्यंजन – क्ष, त्र, ज्ञ, श्र (कुल 35 = 33+2)
Vyanjan Ke Bhed – व्यंजन के भेद
हिंदी मे व्यंजन का वर्गीकरण कई प्रकार से किया गया है, जिनके आधार पर व्यंजन के कई भेद है, तो यहाँ हम व्यंजन के वर्गीकरण के आधार पर व्यंजन के भेद के पढ़ेंगे। तो यहाँ इसे पाँच भाग मे वर्गीकृत करके बताया गया है-
- प्रयत्न विधि के आधार पर
- प्रयत्न स्थान के आधार पर
- प्राणत्व के आधार पर
- उच्चारण के आधार पर
- घोषत्व के आधार पर
प्रयत्न विधि के आधार पर
Vyanjan In Hindi मे प्रयत्न विधि के आधार पर 9 प्रकार से बाँटा गया है।
स्पर्श व्यंजन – Sparsh Vyanjan In Hindi
जिस व्यंजन के उच्चारण मे जिह्वा का कोई-न-कोई भाग मुख के अन्दर किसी भाग पर स्पर्श करता है, तो उसे ही स्पर्श व्यंजन कहते है। क से लेकर म तक 25 व्यंजनों को स्पर्श व्यंजन कहते है। इन्हे वर्गीय व्यंजन भी कहते है।
स्पर्श संघर्षी व्यंजन – Sparsh Sangharshi Vyanjan
जिन वर्णों के उच्चारण मे वायु कुछ घर्षण करके निकलती है, उन्हे स्पर्श संघर्षी व्यंजन कहते है। इसमे च वर्ग की ध्वनियाँ आती है। जैसे – च, छ, ज, झ, ञ।
नासिक्य व्यंजन – Nashikya Vyanjan In Hindi
जिन व्यजनों के उच्चारण मे वायु नाक से निकलती है उन्हे ही नासिक्य व्यंजन कहते है। जैसे – ङ, न, म, ण, ञ।
उत्क्षिप्त व्यंजन – Utshipt Vyanjan In Hindi
जिन व्यंजनों के उच्चारण मे जीभ पहले ऊपर उठती है फिर बाद मे झटके से नीचे आती है, तो उन्हे उत्क्षिप्त व्यंजन कहते है। जैसे – ढ़, ड़।
लुण्ठित व्यंजन – Lunthit Vyanjan In Hindi
इन व्यंजन के उच्चारण मे जीभ तालु से लुढ़ककर स्पर्श करती है, तो उसे लुण्ठित व्यंजन कहते है। जैसे – र
पार्श्विक व्यंजन – Parshvik Vyanjan
जिस व्यंजन के उच्चारण मे जीभ तालु को छुए तथा बगल से हवा निकल जाए, उसे पार्श्विक व्यंजन कहते है। जैसे- ल
अन्तःस्थ व्यंजन – Antastha Vyanjan
जिस व्यंजन के उच्चारण में मुख बहुत कम खुलता है तथा फिर भी वायु बाहर निकल जाती है, तो इस प्रकार से उत्पन्न ध्वनि को ही अन्तःस्थ व्यंजन कहते है। जैसे – य, र, ल, व
ऊष्म व्यंजन – Ushm vyanjan
जिस व्यंजन के उच्चारण मे एक ही प्रकार के सुरसुराहट प्रतीत होती है उसे ऊष्म व्यंजन करते है।
स्वरयन्त्रमुखी व्यंजन
जिन व्यंजनो के उच्चारण में अन्दर से आती हुई श्वास तेजी से स्वर यन्त्र मुख पर संघर्ष उत्पन्न करती है, स्वरयन्त्रमुखी व्यंजन करलाती है। जैसे- ह
प्रयत्न स्थान के आधार पर
Vyanjan In Hindi में प्रयत्न स्थान के आधार पर सात भाग मे बाँटा गया है-
- कण्ठ्य व्यंजन – जिन व्यंजन ध्वनियों के उच्चारण में जिह्वा के पिछले भाग से तालु के स्पर्श करता है, उसे कण्ठ्य व्यंजन कहते है। जैसे- क, ख, ग, घ, ङ।
- तालव्य व्यंजन – जिस व्यंजन का उच्चारण जिह्वा के अग्र भाग के तालु को स्पर्श करता है, उसे तालव्य व्यंजन कहते है। जैसे- च, छ, ज, झ, ञ, श, य।
- मूर्धन्य व्यंजन – जिस व्यंजन का उच्चारण जिह्वा से मुख के मूर्धा भाग से स्पर्श करने से होता है, उसे मूर्धन्य व्यंजन कहते है। जैसे- ट, ठ, ड, ढ, ण, ष।
- दन्त्य व्यंजन – जिस व्यंजन का उच्चारण जिह्वा से दाँतो के ऊपर स्पर्श करने से होता है, उसे दन्त्य व्यंजन कहते है। जैसे- त, थ, द, ध, स।
- ओष्ठ्य व्यंजन – जिस व्यंजन का उच्चारण ओष्ठों के द्वारा श्वास के अवरोध द्वारा होता है, उसे ओष्ठ्य व्यंजन कहते है। जैसे- प, फ, ब, भ, म।
- दन्त्योष्ठ्य व्यंजन – जिस व्यंजन का उच्चारण दाँत तथा ओष्ठ दोनो से होता है, उसे दन्त्योष्ठ्य व्यंजन कहते है। जैसे- व
- वर्त्स्य व्यंजन – जिस व्यंजन का उच्चारण जिह्वा के ऊपरी मसूढ़ों को स्पर्श करने से होता है, उसे वर्त्स्य व्यंजन कहते है। जैसे – न, र, ल।
प्राणत्व के आधार पर
Vyanjan Hindi प्राणत्व के आधार पर इसे दो भाग मे बाँटा गया है-
अल्पप्राण व्यंजन – Alp Pran Vyanjan
जिस व्यंजन के उच्चारण मे मुख से कम हवा निकलती है, उसे अल्पप्राण व्यंजन कहते है। हर वर्ग का पहला, तीहरा और पाँचवाँ व्यंजन अल्पप्राण होता है। जैसे- क, ग, ङ, च, ज, ञ आदि।
महाप्राण व्यंजन – Mahapran Vyanjan
जिस व्यंजन के उच्चारण मे मुख से ज्यादा हवा निकलती है, उसे माहाप्राण व्यंजन कहते है। हर वर्ग का दूसरा और चौथा व्यंजन माहाप्राण होता है। जैसे- ख, छ, झ, ठ, ढ, श, ष, स, ह आदि।
उच्चारण के आधार पर
उच्चारण के आधार पर Vyanjan In Hindi तीन प्रकार की होती है-
- संयुक्त ध्वनि- दो या दो से अधिक ध्वनि वाले व्यंजन परस्पर संयुक्त होकर संयुक्त ध्वनियाँ कहलाती है। जैसे- ट्रेन, प्राण, कलान्त आदि।
- सम्पृक्त ध्वनि – जब एक ध्वनि दो ध्वनियों से जुड़ी होती है, तब यह सम्पृक्त ध्वनि कहलाती है। जैसे- सम्बल
- युग्मक ध्वनि – जब एक ही ध्वनि दो हो जाए, तब वह युग्मक ध्वनि कहलाती है। जैसे- अक्षुण्ण, प्रफुल्ल आदि।
घोषत्व के आधार पर
अघोष व्यंजन – Aghosh Vyanjan In Hindi
जिस व्यंजन के उच्चारण में स्वरतंन्त्रियों में कम्पन न हो, अघोष व्यंजन कहलाते है। प्रत्येक वर्ग का पहला तथा दूसरा व्यंजन अघोष व्यंजन कहलाता है। जैसे- क, ख, च, छ, ट, त, थ, फ, श, ष, स आदि।
सघोष व्यंजन – Ghosh Vyanjan In Hindi
जिस व्यंजन के उच्चारण में स्वरतंत्रियों में कम्पन हो, सघोष या घोष व्यंजन कहलाते है। हर वर्ग का तीसरा, चौथा और पाँचवाँ व्यंजन होता है। जैसे- ग, घ, ज, झ, ड, ढ, ण, भ, म, र, य, ल, व, ह आदि।
Vyanjan Chart (हिंदी व्यंजन चार्ट)
वर्ग | उच्चारण स्थान | अघोष अल्पप्राण | अघोष महाप्राण | सघोष अल्पप्राण | सघोष महाप्राण | सघोष अल्पप्राण |
कण्ठ्य | कण्ठ | क | ख | ग | घ | ङ |
तालव्य | तालु | च | छ | ज, ज़ | झ | ञ |
मूर्धन्य | मूर्धा | ट | ठ, ष | ड | ढ, ढ़ | ण |
दन्त्य | दाँत | त | थ | द | ध | न |
ओष्ठ्य | ओष्ठ | प | फ, फ़ | ब | भ | म |
Vyanjan In Hindi With Pictures
Vyanjan In Hindi PDF Download
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इसे भी जानें –
Vyanjan Question & Answer
Sanyukt Vyanjan In Hindi?
जो व्यंजन 2 या 2 से अधिक व्यंजनों के मिलने से बनते हैं उसे संयुक्त व्यंजन कहते है। संयुक्त व्यंजन एक तरह से व्यंजन का ही प्रकार है। जैसे- क् + ष + अ = क्ष, श् + र् + अ = श्र, त् + र् + अ = त्र, ज् + ञ + अ = ज्ञ।
Sparsh Vyanjan In Hindi?
जिन व्यंजनों के उच्चारण मे जिह्वा का कोई-न-कोई भाग मुख के अन्दर के भाग पर स्पर्श करता है, उसे स्पर्श व्यंजन कहते है। क से लेकर म तक के वर्ण स्पर्श व्यंजन कहलाते है।
व्यंजन किसे कहते हैं?
जिन ध्वनियाो को बिना स्वरों की सहायता के उच्चारित नहीं किया जा सकता, उस प्रकार के ध्वनियों को व्यंजन कहते है।
व्यंजन कितने होते हैं?
हिंदी मे व्यंजनों की संख्या 33 मानी जाती है, परन्तु ड़, ढ़ के जुड़ने पर यह संख्या 35 हो जाती है।
How many vyanjan in hindi?
अक्षरों की व्यवस्था के समुच्चय को अक्षर कहते हैं। हिन्दी में उच्चारण के आधार पर 52 अक्षर होते हैं। इसमें 11 स्वर और 41 व्यंजन हैं। लेखन के आधार पर 56 अक्षर हैं, जिनमें 11 स्वर, 41 व्यंजन और 4 संयुक्त व्यंजन हैं।
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व्यंजन की परिभाषा के लिए क्या ह
Dileep Kumar
व्यंजन की परिभाषा के लिए क्या ह
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व्यंजन की परिभाषा के लिए क्या ह
व्यंजन की परिभाषा के लिए क्या ह
isme maine pura bataya hai
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