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Sandhi in Hindi | संधि की परिभाषा, भेद और उदाहरण

इस पोस्ट मे आप जानेंगे की, Sandhi Ki Paribhasha, Sandhi Kise Kahate Hai तथा Sandhi Ke Prakar In Hindi, Sandhi Ke Bhed आदि के बारे में। आप मे से बहुत लोग उत्तर प्रदेश तथा अन्य किसी राज्य की परीक्षाओं की तैयारी कर रहें होगें, तो वहाँ के सरकारी नौकरी के पाठ्यक्रम मे हिंदी भी एक विषय होता है।

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इसको पढ़ने के बाद आप sandhi in hindi class 9, 10, 11, 12, 8 आदि कक्षाओं के साथ-साथ UPTET, UP PET, UPSSSC Lekhpal जैसे सभी परीक्षाओं मे काफी मदद करेगा। तो इसको पूरा जरूर पढ़ें।

तो हिंदी के इस भाग मे आपको मै संधि किसे कहते हैं इसके बारे मे पुरी जानकारी दूंगा तथा संधि कितने प्रकार के होते है, क्या कार्य तथा कहां प्रयोग होता है ये सब आपको इस पोस्ट मे मालूम पड़ेगा।

sandhi kise kahate hain

Table of Contents

Sandhi In Hindi (संधि की परीभाषा)

संधि की परीभाषा – संधि का मतलब मेल होता है। जब दो वर्ण तथा ध्वनियों का संयोग से जो विकार उत्पन्न होता है। तो उस शब्दो के द्वारा उत्पन्न विकार को ही संधि कहा जाता है।

उदाहरण को रूप मे आप समझ सकते है विद्यालय शब्द से अगर इसे तोड़ा जाये तो यह दो शब्दो विद्या + आलय मे टूटता है तथा जब इन दो शब्दों के ध्वनियों तथा वर्णों का मेल होता है तब जा कर विद्यालय शब्द बनता है।

Sandhi Ke Prakar In Hindi – Sandhi Ke Bhed

संधि कुल तीन प्रकार की होती है- 1) स्वर संन्धि, 2) व्यंजन सन्धि, 3) विसर्ग सन्धि

Swar Sandhi Ke Bhed तथा स्वर संधि किसे कहते हैं

जब किन्ही दो शब्दो मे पहले वाले शब्द का आखरी वर्ण तथा दुसरे शब्द का पहला वर्ण स्वर हो तथा उनके जोड़ से जो विकार उत्पन्न होता है उसे ही स्वर संधि कहा जाता है।

स्वर संधि कुल पांच प्रकार की होती है-

  1. दीर्घ स्वर संधि
  2. गुण स्वर संधि
  3. वृद्धि स्वर संधि
  4. यण स्वर संधि
  5. अयादि स्वर संधि

दीर्घ स्वर संधि (Dirgha Sandhi)

इसका सुत्र अकः सवर्णे दीर्घ है। जब दो समान स्व आपस मे मिलते है, तो उनसे उत्पन्न विकार स्वर संधि कहलाता है। इनमे आ, ई, ऊ तथा ऋ स्वरो का आपस मे मेल होता है।

दीर्घ संधि के उदाहरण

अ/आ + अ/आ = आ

  • देव + अर्चन = देवार्चन
  • सत्य + आग्रह = सत्याग्रह
  • विद्या + आलय = विद्यालय
  • राम + अवतार = रामावतार
  • रेखा + अंश = रेखांश
  • वाचन + आलय = वाचनालय
  • दीप + अवली = दीपावली
  • गीता + अंजली = गीतांजली

इ/ई + इ/ई = ई

  • रजनि + ईश = रननीश
  • कवि + इच्छा = कवीच्छा
  • सति + ईश = सतीश
  • गीरि + ईश = गीरीश
  • कपि + ईश = कपीश

उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ

  • वधू + उत्सव = वधूत्सव
  • सिन्धु + ऊर्मि = सिन्धूर्मि
  • भू + उपरि = भूपरि
  • भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
  • स्वयंभू + उदय = स्वयंभूदय

ऋ + ऋ = ऋ

  • होतृ + ऋकार = होतृकार
  • पिता + ऋण = पितृण

गुण स्वर संधि (Gun Sandhi)

इस संधि का सूत्र आद्गुणः है। जब स्वर अ तथा आ से इ, ई, उ, ऊ तथा ऋ स्वर को जोड़ होता है तब क्रमशः ए, ओ और अर् मे बदल जाता है। इसी बदलाव को गुण संधि कहा जाता है।

गुण संधि के उदाहरण

अ/आ + इ/ई = ए

  • भारत + इन्दु = भारतेन्दु
  • स्व + इच्छा = स्वेच्छा
  • कमल + ईश = कमलेश
  • उप + इन्द्र = उपेन्द्र

अ/आ + उ/ऊ = ओ

  • हित + उपदेश = हितोपदेश
  • गंगा + उदक = गंगोदक
  • पद + उन्नती = पदोन्नती
  • महा + उत्सव = महोत्सव

अ/आ + ऋ = अर्

  • महा + ऋषि = महर्षि
  • राजा + ऋषि = राजार्षि
  • देव + ऋषि = देवर्षि

वृद्धि संधि (Vriddhi Sandhi)

इसका सूत्र है वृद्धिरेचि, जब या से या जुड़ेगा तो आयेगा। इसी तरह या जुड़ने पर आता है। इस विकार को वृद्धि संधि कहते है।

वृद्धि संधि के उदाहरण

अ/आ + ए/ऐ = ऐ

  • लोक + ऐश्वर्य = लोकैश्वर्य
  • न + एवम = नैवम
  • महा + ऐन्द्रजालिक = महैन्द्रजालिक
  • दिन + एक = दिनैक
  • न + एतत् = नैतत्

अ/आ + ओ/औ = औ

  • परम + औदार्य = परमौदार्य
  • उष्ण + ओदन = उष्णौदन
  • प्र + औधोगिकी = प्रौद्योगिकी
  • जल + औघ = जलौघ
  • परम + औजस्वी = परमौजस्वी

यण संधि (Yan Sandhi)

इसका इको यणचि सूत्र होता है। जब इ, ई, उ, ऊ और ऋ के बाद कोई अन्य स्वर का जोड़ होने पर क्रमशः य्, व् तथा र् मे बदल जाता है। इसी विकार को यण संधि कहते है।

यण संधि के उदाहरण

इ/ई + अन्य स्वर = य

  • प्रति + आदर्श = प्रत्यादर्श
  • परि + अटन = पर्यटन
  • प्रति + उपकार = प्रत्युप्कार
  • वि + ऊह = व्यूह
  • वि + अर्थ = व्यर्थ

उ/ऊ + अन्य स्वर = व

  • धातु + इक = धात्विक
  • अनु + एषण = अन्वेषण
  • मधु + आलय = मध्वालय
  • सु + अस्ति = स्वस्ति
  • साधु + आचार = साध्वाचार

ऋ + अन्य स्वर = र

  • मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा
  • पितृ + आदेश = पित्रादेश
  • पितृ + अच्छा = पित्रिच्छा
  • मातृ + उपदेश = मात्रुप्देश
  • लृ + आकृति = लाकृति

अयादि संधि (Ayadi Sandhi)

इस संधि का सूत्र एचोवयाव है। जब ए, ऐ, ओ और औ के बाद कोई अन्य स्वर आता है तब वह ए का अय, ऐ का आय्, ओ का अव् तथा औ का आव् मे बदल जाता है। इसे ही अयादि संधि कहते है।

अयादि संधि के उदाहरण

ए/ऐ + अन्य स्वर = अय / आय

  • विधै + अक = चाय
  • चै + आ = चाय
  • नै + इका = नायिका
  • शै + अर = शायर
  • चे + अन = चयन

ओ / औ + अन्य स्वर = अव / आव

  • पो + अन = पवन
  • पौ + अन = पावन
  • भौ + अति = भवति
  • हो + अन = हवन
  • श्रौ + अण = श्रावण

व्यंजन संधि किसे कहते है (Vyanjan Sandhi Kise Kahte Hai)

Vyanjan Sandhi Ki Paribhasha – जब व्यंजन के बाद स्वर या व्यंजन का मेल होने पर होने वाले विकार को, व्यंजन संधि कहते है।

जैसे- दिक् + गज = दिग्गज

व्यंजन संधि को कोई भोद नही होते इसके नियम होते है जिनके आधार पर शब्द बनते है। ये नियम एक-एक करके नीचे बताया गया है।

पहले वर्ण का तीसरे वर्ण मे परिवर्तन होना

जब किसी पहले शब्द के आखिर मे क्, च्, ट्, त्, प् के बाद कोई स्वर आए अथवा वर्ग का तीसरा या चौथा वर्ण आए तो क्, च्, ट्, त्, प्, के जगह पर उनके वर्ग के तीसरे वर्ण यानी, क के जगह ग, च के जगह ज, ट के जगह ड, त के जगह द और प के जगह ब मे बदल जाता है। जैसे-

  • वाक् + ईश = वागीश
  • अच् + आदि = अजादि
  • पट् + दर्शन = षडदर्शन
  • षट् + रिपु = षड्रिपु
  • प्राक + ऐतिहासिक = प्रागैतिहासिक
  • सत् + वाणी = सद्वाणी
  • अप् + ज = अब्ज
  • उत् + योग = उद्योग
  • सत् + आचार = सदाचार
  • षट् + आनन = षडानन

पहले वर्ण का पाँचवें वर्ण मे परिवर्तन

जब क्, च्, ट्, त्, प् के आगे कोई अनुनासिक व्यंजन आए तो प्रथम वर्ण क्रमशः ङ, ञ, ण, न, म मे बदल जाता है। उदाहरण-

  • वाक् + मात्र = वाङ्मात्र
  • उत + नति = उन्नति
  • षट् + मुख = षण्मुख
  • रुच् + मय = रुञ्मय
  • सत् + मार्ग = सन्मार्ग
  • अप् + मय = अम्मय
  • वाक् + मय = वाङ्मय
  • षट् + मास = षण्मास

छ वर्ण का नियम

किसी ह्रस्व स्वर व दीर्घ स्वर के बाद छ् वर्ण आता है तो वह छ् से पहले च् लग जाता है। जैसे-

  • गृह + छिद्र = गृहच्छिद्र
  • परि + छेद = परिच्छेद
  • लक्ष्मी + छाया = लक्ष्मीच्छाया
  • आ + छादन = आच्छादन

म वर्ण का नियम

  • जब म के बाद कोई व्यंजन आता है तो जिस वर्ग का प्रथम व्यंजन आता है तो जोड़ के बाद म के स्थान पर उसी वर्ग का पंचम अक्षर मे बदल जाता है। जैसे-
    • सम् + चय = संचय
    • सम् + तोष = सन्तोष
    • शम् + कर = शङ्कर
  • जब म के बाद अन्तस्थ या फिर ऊष्म व्यंजन आए तो म के स्थान पर ” ं ” आ जाता है। जैसे-
    • सम् + योग = संयोग
    • सम् + रक्षा = संरक्षा
    • स्वयम् + वर = स्वयंवर
  • जब म के बाद म ही आये तो वहाँ पर कोई भी परिवर्तन नहीं होगा और म वर्ण का ही प्रयोग होगा। जैसे-
    • सम् + मति = सम्मति
    • सम् + मान = सम्मान

त वर्ण का नियम

  • जब त् व द् के आगे श् आए तो वह च् हो जायेगा तथा श् का छ् हो जायेगा। जैसे-
    • तत् + शरीर = तच्छरीर
    • उत् + श्वास = उच्छ्वास
  • जब त् व द् के आगे ज् या झ् आए तो यह ज् मे बदल जाता है। जैसे-
    • विपद् + जाल = विपज्जाल
    • उत् + ज्वल = उज्ज्वल
    • उत् + झटिका = उज्झटिका
  • त् के बाद ल् हो तो वह ल् मे परिवर्तित हो जाता है। जैसे-
    • तत् + लीन = तल्लीन
    • उत् + लंघन = उल्लंघन
  • त् के बाद ट् व ड् रहने पर, वह क्रमशः ट् तथा ड् मे बदल जाता है। जैसे-
    • बृहत् + टीका = बृहट्टीका
    • उत् + डयन = उड्डयन
  • त् के बाद ह् हो तो वह द् मे बदल जाता है तथा साथ मे ह् के स्थान पर ध आ जाता है। जैसे-
    • पद् + हति = पद्धति
    • उत् + हार = उद्धार
  • त् के बाद अगर च् व छ् हो तो, वह च् मे बदल जाता है। जैसे-
    • सत् + चरित्र = सच्चरित्र
    • उत् + चारण = उच्चारण

स वर्ण का नियम

  • अ तथा आ को छोड़कर किसी भी अन्य स्वर के बाद स् आता है तो स् के स्थान पर ष् हो जाता है। जैसे-
    • वि + सम = विषम
    • अभि + सेक = अभिषेक
    • सु + सुप्त = सुषुप्त

ट तथा ठ वर्ण का नियम

  • ष् के बाद त् तथा थ आने पर वहाँ उसके स्थान पर ट् तथा ठ् मे बदल जाता है। जैसे-
    • षष् + थ = षष्ठ
    • आकृष् + त = आकृष्ट
    • तुष् + त = तुष्ट

न वर्ण का नियम

  • जब र्, ष्, ऋ के बाद न् आये तथा न के पहले कोई स्वर हो तो न के स्थान पर वह न् से ण् मे बदल जाता है। जैसे-
    • ऋ + न = ऋण
    • भूष + अन = भूषण
    • राम + अयन = रामायण

विसर्ग संधि किसी कहते है (VISARGA SANDHI KYA HOTA HAI)

विसर्ग (ः) के स्थान पर स्वरों तथा व्यंजनों के विकार से जो शब्द बनता है उसे ही विसर्ग संधि कहा जाता है। जैसे-

  • निः + शब्द = निश्शब्द
  • मनः + हर = मनोहर

विसर्ग का श् से स् मे परिवर्तन

  • विसर्ग के बाद श् या स आए तो वह विसर्ग श् तथा स् मे ही बदल जाता है। जैसे-
    • निः + संग = निस्संग
    • निः + शंक = निश्शंक
    • दुः + शासन = दुश्शासन
    • निः + स्वार्थ = निस्स्वार्थ
  • विसर्ग के बाद च-छ, ट-ठ तथा त-थ आने पर वह क्रमशः श्, ष्, स् मे बदल जाता है। जैसे-
    • निः + ठुर = निष्ठुर
    • दुः + चरित्र = दुश्चरित्र
    • धनुः + टंकार = धनुष्टंकार

विसर्ग का ष् मे परिवर्तन

विसर्ग के पहले अगर ई आये तथा उसके बाद क, ख, ट, ठ, प, फ आए तो वह विसर्ग ष् मे बदल जाता है। जैसे-

  • निः + कपट = निष्कपट
  • निः + ठुर = निष्ठुर
  • निः + कर्म = निष्कर्म
  • निः + पाप = निष्पाप

विसर्ग ( ः ) का लोप

  • विसर्ग के बाद छ हो तो विसर्ग गयब हो जाता है। जैसे-
    • अनुः + छेद = अनुच्छेद
    • छत्रः + छाया = छत्रच्छाया
  • विसर्ग से पहले इ या उ तथा बाद मे र आए तो विसर्ग का वहाँ पर लोप हो जात है और इ तथा उ, ई व ऊ मे बदल जाते है। जैसे-
    • निः + रस = नीरस
    • निः + रव = नीरव
  • यदि विसर्ग से पहले अ तथा आ आए और उसके बाद कोई अन्य स्वर आए तो वहाँ विसर्ग का लोप हो जाता है। जैसे-
    • अतः + एव = अतएव

इसे भी जानें –

Sandhi In Hindi PDF Note Book Download

यहँ आपको Sandhi In Hindi PDF Notes Free Download option दिया गया है। जिसका प्रयोग करके आप आसानी से इस फाइल को download कर सकते है। यह फाइल आपकी class 8, 9, 10, 11, 12 आदि सभी मे मदद करेगी।

Important Sandhi In Hindi Questions Practice

संधि के महत्वपूर्ण प्रश्नों को हल करे वो भी उत्तर के साथ, इसकी PDF नीचे लिंक मे दी गई है उसको download करके आप पढ़ सकते है।

sandhi viched in hindi

Sandhi प्रश्न-उत्तर

दो वर्णो के मेल से होने वाले विकार को क्या कहते है?

दो वर्णों के मेल के विकार को संधि कहते है और मेल की क्रिया को संधि विच्छेद कहते है।

सन्धि कितने प्रकार की होती है?

यह तीन प्रकार की होती है- 1) स्वर संन्धि, 2) व्यंजन सन्धि, 3) विसर्ग सन्धि

स्वर संधि कितने प्रकार की होती है?

यह पाँच प्रकार की होती है। 1. दीर्घ, 2. गुण, 3. वृद्धि, 4. यण, 5. अयादि स्वर संधि

sandhi kise kahate hain?

पास-पास स्थित पदों के समीप विद्यमान वर्णों के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं।

संधि किसे कहते हैं?

संधि का मतलब मेल होता है। जब दो वर्ण तथा ध्वनियों का संयोग से जो विकार उत्पन्न होता है। तो उस शब्दो के द्वारा उत्पन्न विकार को ही संधि कहा जाता है।

sandhi ke bhed kitne hote hain?

संधि के तीन भेद होते हैं- स्वर संधि, व्यंजन संधि और विसर्ग संधि।

तो इस पोस्ट मे आपने जाना की Sandhi Ki Paribhasha, Sandhi Kise Kahate Hai तथा Sandhi Ke Prakar In Hindi, Sandhi Ke Bhed, इस पोस्ट मे मैने स्वर संधि, व्यंजन संधि तथा विसर्ग संधि के सारे रूप प्रकार का अच्छे से उदाहरण के साध विवरण दिया है।

जो आपकी UPSSSC की आगामी परीक्षा जैसे, Jr Assistant, VDO, Stenographer, Lekhpal जैसी परीक्षाओं मे मदद करेगा। साथ ही यह आपको UP SI तथा Constable की परीक्षाओं के लिए काफी लाभदायक है। अगर आपको इससो संबंधि और जानकारी चाहिए तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते है।

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