स्वर की परिभाषा | स्वर वर्ण किसे कहते है – Swar In Hindi
Hindi Grammar के इस भाग मे आप जानेंगे कि Swar In Hindi Varnmala मे क्या होता है तथा Swar Kise Kahte Hain, स्वर के प्रकार, स्वर का उच्चारण स्थान आदि सबकी जानकारी आपको इस पोस्ट मे मिलेगी। तो चलिए जानते है इसके बारे में।
इसको पढ़ने के बाद आप Swar worksheets for class 9, 10, 11, 12, 8 आदि कक्षाओं के साथ-साथ UPTET, UP PET, UPSSSC Lekhpal जैसे सभी परीक्षाओं मे काफी मदद करेगा। तो इसको पूरा जरूर पढ़ें।
Swar In Hindi Varnmala – Swar Kise Kahte Hai
स्वर की परीभाषा – स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण को ही स्वर कहते है। यानी कि जिनके उच्चारण मे हवा मुख-विवर से अबाध गति से निकले उसे ही स्वर कहा जाता है। इसकी संख्या कुल 13 मानी जाति है, परन्तु उच्चारण के स्थान से देखें तो ये संख्या 10 होती है।
- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, (ऋ), ए, ऐ, ओ, औ, (अं), (अः) [ कुल 10+3=13]
स्वर के भेद – Swar Ke Bhed Vargikaran
स्वर को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया गया है-
- मात्रा व उच्चारण काल के आधार पर
- मुख-द्वार के खुलने के आधार पर
- ओठों की स्थिति के आधार पर
- जीभ के प्रयोग के आधार पर
- हवा के नाक व मुँह से निकलने के आधार पर
- प्राणत्व के आधार पर
- घोषत्व के आधार पर
मात्रा व उच्चारण काल के आधार पर
Swar Hindi Varnmala मे उच्चारण के आधार पर ये तीन प्रकार के होते है-
- ह्रस्व स्वर – अ, इ, उ, ऋ (कुल 4)
- दीर्घ स्वर – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ (कुल 7)
- प्लुत स्वर – ऽऽऽऽऽऽऽऽऽ
- ह्रस्व स्वर/मूल स्वर – वे स्वर जिनके उच्चारण मे कम समय लगता है उन्हें ह्रस्व स्वर कहते है। जैसे – अ, इ, उ, ऋ
- दीर्घ स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण मे अधिक समय लगता है, उन्हे दीर्घ स्वर कहते है। जैसे – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ। यहाँ यह ध्यान रहे दीर्घ स्वर की रचना दो स्वरो से मिलकर होता है, इसलिए इसे संयुक्त स्वर भी कहते है। दीर्घ स्वर दो प्रकार के होते है।
- सजातीय स्वर – ऐसे स्वर जिनका निर्माण एक ही स्थान के स्वरो के मेल से होता है, उन्हे सजातीय स्वर कहते है। जैसे – आ, ई, ऊ।
- विजातीय स्वर – ऐसे स्वर जिनका निर्माण अलग-अलग स्थान से बोले जाने वाले स्वरों से होता है, उन्हे विजातीय स्वर कहते है। जैसे – ए, ऐ, ओ, औ
- प्लुत स्वर – वे स्वर जिनके उच्चारण में दीर्घ स्वर से भी अधिक समय लगता है, उन्हे ही प्लुत स्वर कहते है। जैसे – राऽऽऽऽऽऽम। इस स्वर का प्रयोग मुख्यतः नाटक आदि मे होता है।
मुख-द्वार के खुलने के आधार पर
मुख – द्वार के खुलने के आधार पर स्वरों के चार प्रकार से बाँटा गया है-
- विवृत – जिन स्वरों के उच्चारण में मुख द्वार पूरा खुलता है, उसे विवृत स्वर कहते है। जैसे – आ
- अर्ध विवृत – जिन स्वरों के उच्चारण में मुख द्वार आधा यानी पूरा नहीं खुलता है, उनसे अर्ध विवृत स्वर कहते है। जैसे – अ, ऐ, औ, ऑ।
- संवृत – जिन स्वरों के उच्चारण में मुख द्वार लगभग बन्द रहता है, उसे संवृत स्वर कहते है। जैसे – इ, ई, उ, ऊ।
- अर्ध संवृत – जिन स्वर के उच्चारण में मुख द्वार आधा बन्द रहता है, उसे अर्ध संवृत स्वर कहते है। जैसे – ए, ओ।
ओठों की स्थिति के आधार पर
Swar In Hindi में ओठों से आधार पर यह दो प्रकार का होता है-
- अवृतमुखी – जिन स्वरों के उच्चारण में ओंठ वृतमुखी या गोलाकार नहीं होते है, उसे अवृतमुखी स्वर कहते है। जैसे – आ, अ, ई, इ, ए, ऐ।
- वृतमुखी – जिन स्वर के उच्चारण मे ओंठ वृतमुखी या गोलाकार खुलता है, उसे वृतमुखी स्वर कहते है। जैसे- उ, ऊ, ओ, औ, ऑ।
जीभ के प्रयोग के आधार पर
Swar In Hindi में जीभ के आधार पर इसे तीन वर्गों में बाँटा गया है-
- अग्र स्वर – जिन स्वर के उच्चारण में जिह्वा का अग्र भाग ऊपर उठता है, उसे अग्र स्वर कहते है। जैसे- इ, ई, ए, ऐ।
- मध्य स्वर – जिन स्वर के उच्चारण में जिह्वा का समान स्थिति मे रहती है उसे मध्य स्वर कहते है। जैसे- अ।
- पश्च स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में जिह्वा का पश्च भाग ऊपर उठता है, उसे पश्च स्वर कहते है। जैसे- आ, उ, ऊ, ओ, औ, ऑ।
हवा के नाक व मुँह से निकलने के आधार पर
Swar स्वर में यह दो प्रकार के होते है-
- निरनुनासिक स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में हवा केवल मुँह से निकलती है नाक से नहीं उसे निरनुनासिक स्वर कहते है। जैसे- अ, आ, इ आदि।
- अनुनासिक स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में हवा मुँह के साथ-साथ नाक से भी निकलती है, उसे अनुनासिक स्वर कहते है। जैसे- अँ, आँ, इँ आदि।
प्राणत्व के आधार पर
Swar In Hindi Varnmala मे याद रहे कि ये सभी स्वरों के उच्चारण में मुख से हवा कम निकलती ही है, इसलिए ये सभी स्वर अल्पप्राण होते है।
घोषत्व के आधार पर
घोषत्व के आधार पर भी सभी स्वर मे समान रूप व प्रकार से स्वरतन्त्रियों मे कंपन्न होता है, इसलिए इस सभी स्वर को सघोष माना जाता है।
स्वरों का वर्गीकरण व उच्चारण (Hindi Varnmala Swar Chart)
वर्णनाम | उच्चारण स्थान | ह्रस्व स्वर | दीर्घ स्वर | निरानुनासिक | अनुनासिक |
कण्ठ्य | कण्ठ | अ | आ | अ,आ | अँ, आँ |
तालव्य | तालु | इ | ई | इ | इँ |
मूर्धन्य | मूर्धा | ऋ | |||
ओष्ठ्य | ओष्ठ | उ | ऊ | ||
कण्ठतालव्य | कण्ठ + तालु | ए, ऐ | |||
कण्ठोष्ठय | कण्ठ + ओष्ठ | ओ, औ |
Swar In Hindi Varnmala (स्वर हिंदी वर्णमाला चार्ट PDF)
यहाँ नीचे मैने सारे swar in hindi with pictures दिया है, जिसको आप आसानी से याद कर सकते है।
इसे भी जानें –
Swar In Hindi PDF Download
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Swar Questions & Answers
स्वर के भेद कितने होते हैं?
स्वर के कुल 7 भेद है-
मात्रा व उच्चारण काल
मुख-द्वार के खुलने
ओठों की स्थिति
जीभ के प्रयोग
हवा के नाक व मुँह से निकलने
प्राणत्व
घोषत्व
हस्व स्वर कितने होते हैं?
हिन्दी मे ह्रस्व स्वर की संख्या 4 होती है जो इस प्रकार है। अ, इ, उ, ऋ
संयुक्त स्वर कितने होते हैं?
दीर्घ स्वर की रचना दो स्वरो से मिलकर होता है, इसलिए इसे संयुक्त स्वर कहते है। इसकी संख्या 7 होती है।
दीर्घ स्वर कितने होते हैं?
दीर्घ स्वर की संख्या 7 होती है। आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ
स्वर की परिभाषा क्या होती है?
स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण को ही स्वर कहते है। इनकी संक्या 13 होती है जिनसे मूल स्वर 10 ही होते है।
स्वर कितने होते हैं?
इसकी संख्या कुल 13 मानी जाति है, परन्तु उच्चारण के स्थान से देखें तो इनकी संख्या 10 होती है।
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, (ऋ), ए, ऐ, ओ, औ, (अं), (अः)
निष्कर्ष
तो आपको Swar In Hindi और Swar Kise Kahte Hai की जानकारी कैसी लगी नीचे कमेंट करके जरूर बताएँ, यहाँ स्वर के भेद, परिभाषा, प्रकार आदि की पूरी जानकारी देदी है। बाकी पोस्ट को अपने शेयर करना न भूलें।
Sir aapne Swar ke baar me bahut hi achhi jankari share kiya hai
thanks