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वाच्य किसे कहते है, भेद, उदाहरण – Vachya In Hindi | Vachya Ke Bhed

Hindi Grammar के इस भाग मे आप जानेंगे Vachya Bhed, Vachya Udahran, Vachya In Hindi. आप मे से कई लोग हिंदी मे इस पाठ मे confuse रहते है। तो इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको Vachya hindi मे कोई समस्य नहीं होगी।

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इसी के साथ वाच्य के बारे मे इसी पोस्ट मे मैने जानकारी डाली है, जिससे आपको यह जानकारी मिल सके की वाच्य शब्द कौन-कौन से होते है। तो चलिए जानते है, वाच्य किसे कहते हैं?

Vachya In Hindi Vachya Ke Bhed

Vachya Ki Paribhasha – Vachya In Hindi

वाच्य की परिभाषा- क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि किसी वाक्य में कर्ता, कर्म या फिर भाव में किसी एक की प्रधानता है, उसे वाच्य कहते है। दुसरे रूप मे यह कह सकते हैं कि, क्रिया के जिस रुपान्तर से यह ज्ञात हो कि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया का प्रधान विषय कर्ता या कर्म या फिर भाव है, तो उसे वाच्य कहते है।

Vachya Ke Bhed

हिन्दी व्याकरण मे वाच्य तीन प्रकार के होते है-

  1. कर्तृवाच्य (Active Voice)
  2. कर्मवाच्य (Passive Voice)
  3. भाववाच्य (Impersonal Voice)

कर्तृवाच्य – Krit Vachya In Hindi

क्रिया के जिस रूप में कर्ता की प्रधानता होती है और क्रिया का सीधा तथा प्रधान सम्बन्ध कर्ता से होता है, उसे कर्तृवाच्य कहते है। इस वाच्य में क्रिया के लिंग और वचन कर्ता के अनुसार होते है। इसे अंग्रेजी मे Active Voice कहते है। जैसे-

  • सीता पत्र लिखती है।
  • रमेश लेख लिखता है।
  • लड़के पत्र लिखते है।

इन वाक्यों में कर्ता की प्रधानता को दिखाया गया है, तथा क्रिया के लिंग और वचन कर्ता के अनुसार ही कार्य कर रहे है।

कर्मवाच्य – Karma Vachya In Hindi

क्रिया के जिस रूप में कर्म की प्रधानता पाई जाती है तथा क्रिया का सीधा सम्बन्ध कर्म से ही होता है, तो उसे कर्मवाच्य कहते है। यहां ध्यान रहे की लिंग और वचन कर्म के अनुसार ही कार्य करते है। इसे अंग्रेजी मे Passive Voice कहते है। जैसे-

  • राहुल से पत्र लिखा जाता है।
  • रमेश से गाना गाया जाता है।

इस वाक्य मे लिखा जाता है का सम्बन्ध सीधे तौर पर पत्र यानी कर्म से है। इसलिए इस वाक्य को कर्म वाच्य कहते है।

भाववाच्य – Bhav Vachya In Hindi

क्रिया के जिस रूप में भाव की प्रधानता होती है और क्रिया का सीधा सम्बन्ध भाव से ही होता है, उस वाक्य को भाववाच्य कहते है। इसे अंग्रेजी मे Impersonal Voice कहते है। यहाँ यह ध्यान रहे की यह केवल अकर्मक क्रिया के साथ ही प्रयोग किये जाते है। जैसे-

  • सीता से बैठा नहीं जाता।
  • सुरेश से गाया नहीं जाता।
  • मोहन से टहला भी नहीं जाता।
  • मुझसे उठा नहीं जाता।

इन दोनो वाक्यों मे भाव की ही प्रधानता है, इसलिए इसे भाववाच्य वाक्य कहेंगे।

Karma Vachya Aur Bhav Vachya Me Antar

कर्मवाच्यभाववाच्य
कर्मवाच्य में कर्म की प्रधानता होती है।भाववाच्य मे भाव की प्रधानता होती है, कर्म की नहीं।
इसमे नहीं शब्द का trenbolone enanthate in uk 8 tren enanthate rich प्रयोग नहीं होता है।इनमे अधिकतर नहीं शब्द का प्रयोग होता है।
इस वाच्य मे हमेशा सकर्मक क्रिया के ही वाक्य होते है।इस वाच्य मे केवल अकर्मक क्रिया के ही वाच्यों का प्रयोग किया जाता है।
vachya ki paribhasha

वाच्य परिवर्तन

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य मे परिवर्तन

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य मे परिवर्तन करने के लिए किसी वाक्य को निम्न परिवर्तनों को करना पड़ता है-

  • कर्तृवाच्य के मुख्य कर्ता के साथ से, द्वारा विभक्ति आदि को जोड़कर उसे करण कारक बना दिया जाता है।
  • इसमे क्रिया को साधारण से संयुक्त मे बदला जाता है।
  • वाक्य मे क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग और वचन के आधार पर किया जाता है।
  • कर्तृवाच्य की मुक्य क्रिया को ही सामान्य भूतकाल में परिवर्तन कर दिया जाता है।
  • कर्म के साथ कोई-भी परसर्ग होता है तो उसे वहाँ से हटा दिया जाता है।
कर्तृवाच्यकर्मवाच्य
फैक्टरी बंद कर दी।फैक्टरी बंद करा दी गई।
राकेश पुस्तक पढ़ रहा हैराकेश के द्वारा पुस्तक पढ़ी जा रही है।
महेश पत्र लिखता है।महेश के द्वारा पत्र लिखा जाता है।
चलो, खाना खाते हैं।चलो खाना खाया जाए।
माला ने खाना खाया।माला के द्वारा खाना खाया गया।
आप गाना गाइए।आपके द्वारा गाना गया जाय।
दादाजी अखबार पढ़ते है।दादाजी द्वारा अखबार पढ़ा गया।
बच्चे शोर मचाएँगे।बच्चों के द्वारा शोर मचाया जाएगा।
सचिन मैच खेलने चेन्नई जाएँगे।सचिन के द्वारा मैच खेलने चेन्नई जाया जाएगा।
kritvachya bhavachya kartarivachya
kritvachya bhavachya kartarivachya

कर्तृवाच्य से भाववाच्य मे परिवर्तन

कर्तृवाच्य को भाववाच्य मे बदलने के लिए निम्न परिवर्तन करने होते है-

  • कर्तृवाच्य के मुख्य कर्ता के साथ द्वारा, से विभक्तियों को जोड़कर उसे करण कारण बना दिया जाता है।
  • कर्तृवाच्य की मुख्य क्रिया को भाववाच्य से सामान्य भूतकाल में बदलकर जाना क्रिया का रूप काल के अनुरूप प्रयोग करते हैं।
  • मुख्य क्रिया को सामान्य क्रिया में एवं अन्य पुरुष पुल्लिंग एकवचन में स्वतन्त्र रूप मे ही रखा जाता है।
कर्तृवाच्यभाववाच्य
चलो, अब सोते हैं।हमसे हँसा नहीं जाता।
बच्चे शान्त नहीं रह सकते।बच्चों से शान्त नहीं रहा जाता।
अब चलते हैं।अब चला जाय।
मैं यह दृश्य नहीं देख सका।मुझसे यह दृश्य नहीं देखा गया।
मजदूर पत्थर नहीं तोड़ रहे।मजदूरों से पत्थर नहीं तोड़े जा रहे।
मैं अख़बार नहीं पढ़ सकता।मुझसे अख़बार पढ़ा नहीं जाता।

कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य मे परिवर्तन

कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य में रूपानतर्ण करने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखा जाता है-

  • भूतकाल की सकर्मक क्रिया रहने पर कर्म के लिंग, वचन के अनुसार ही क्रिया को रखा जाता है।
  • कर्ता के अपने चिन्ह आवश्यकतानुसार लगाने चाहिए।
  • यदि वाक्य की क्रिया वर्तमान एवं भविष्यत् की है तो कर्तानुसार हि क्रिया के रूप रचना रखनी चाहिए।
कर्मवाच्यकर्तृवाच्य
उस बेचारी से रोया भी नहीं जाता।वह बेचारी रो भी नहीं सकती।
पक्षियों से रात में सोया जाता है।पक्षी रात में सोते हैं।
मुझसे अखबार पढ़ा नहीं जाता।मैं अखबार नहीं पढ़ सकता।
चलो, अब सोया जाय।चलो, अब सोते हैं।
मजदूरों से पत्थर नहीं तोड़े जा रहे।मजदूर पत्थर नहीं तोड़ रहे।
उनसे गाया नहीं जाता।वे गा नहीं सकते।

इसे भी पढ़ें –

वाच्य के प्रयोग – Vachya Parivartan

Vachya In Hindi में आपको अब वाच्य के प्रयोगों को भी जनना है, क्रिया के लिंग, पुरुष और वचन कर्ता के अनुसार होते हैं, कहीं कर्म के अनुसार व कहीं क्रिया के अनुसार होते है, अतः क्रिया के प्रयोग तीन प्रकार से किया जाता है-

  1. कर्तरि प्रयोग
  2. कर्मणि प्रयोग
  3. भावे प्रयोग
  1. कर्तरि प्रयोग – जिस वाक्य में क्रिया के लिंग, पुरुष और वचन कर्ता के अनुसार होते है, वहाँ उसे क्रिया के इस प्रयोग को ही कर्तरि प्रयोग कहते है। जैसे-
    • राहुल अच्छी पुस्तकें पढ़ता है।
  2. कर्मणि प्रयोग – जिस वाक्य में क्रिया के लिंग, पुरुष और वचन कर्म के अनुसार ही प्रयोग किए जाते है, वहाँ क्रिया के इस प्रयोग को ही कर्मणि प्रयोग कहते है। जैसे-
    • सीता को किताब पढ़नी पड़ेगी।
  3. भावे प्रयोग– जन वाक्यों में क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्ता के अनुसार न होकर सदैव अन्य पुरुष, पुल्लिंग तथा एकवचन में हों, तब भावे प्रयोग होता है। जैसे-
    • मुछले उठा नहीं जाता।

इसे भी पढ़ें –

Vachya In Hindi FAQ

Krit vachya kise kahate hain?

क्रिया के जिस रूप में कर्ता की प्रधानता पाई जाती है और क्रिया का सीधा तथा प्रधान सम्बन्ध कर्ता से ही होता है, उसे कर्तृवाच्य कहते है।

Vachya Kise kahate hain?

क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि किसी वाक्य में कर्ता, कर्म या फिर भाव में किसी एक की प्रधानता है, उसे वाच्य कहत है।

Bhav vachya Kise kahate hain?

क्रिया के जिस रूप में भाव की प्रधानता पाई जाती है और क्रिया का सीधा सम्बन्ध भाव से ही होता है, उस वाक्य को भाववाच्य कहते है।

Vachya ke kitne bhed hote hain?

हिन्दी व्याकरण मे वाच्य के तीन भेद होते है-

1) कर्तृवाच्य (Active Voice)
2) कर्मवाच्य (Passive Voice)
3) भाववाच्य (Impersonal Voice)

तो आपको Vachya In Hindi की पोस्ट की जानकारी कैसी लगी तथा मैने इस पोस्ट मे Vachya Ke Bhed, Vachya Ki Paribhasha आदि के बारे मे भी जरूर बताऐ। बाकी, नीचे कमेंट करके जरूर पूछें। धन्यवाद…

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