Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 11
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Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 11
पाठाधारित प्रश्न
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. राम की सेना कहाँ से रवाना हुई ?
उत्तर:
राम की सेना किष्किंधा से रवाना हुई।
प्रश्न 2. राम ने अंगद को लंका क्यों भेजा?
उत्तर:
राम ने अंगद को रावण से सुलह समझौता करने के लिए संदेश लेकर भेजा।
प्रश्न 3. सुग्रीव ने वानरों से क्या कहा?
उत्तर:
सुग्रीव ने वानरों से कहा कि युद्ध भयानक होगा, इसलिए केवल वही सैनिक युद्ध में जाएँगे जो शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ हों।
प्रश्न 4. विभीषण ने लक्ष्मण की दुविधा को कैसे सुलझाया?
उत्तर:
विभीषण ने लक्ष्मण की दुविधा को मेघनाद के महल का गुप्त दरवाज़ा दिखाकर सुलझाया।
प्रश्न 5. विभीषण ने रावण को क्या समझाया?
उत्तर:
विभीषण ने रावण को समझाया कि कृपया आप सीता को लौटा दें। इसी में सबकी भलाई है।
प्रश्न 6. समुद्र ने राम को क्या सलाह दी?
उत्तर:
समुद्र ने राम को सलाह दी कि उनकी सेना में एक नल नाम का वानर है जो पुल बना सकता है। पुल बनाकर आप एवं आपकी सेना लंका में प्रवेश कर सकते हैं।
प्रश्न 7. राम ने अंगद को लंका क्यों भेजा?
उत्तर:
राम ने रावण से सुलह की अंतिम कोशिश करने के लिए अंगद को लंका भेजा।
प्रश्न 8. रावण ने विभीषण के साथ क्या व्यवहार किया?
उत्तर:
रावण ने विभीषण की बात अनसुनी कर दी तथा उसे कक्ष से निकाल दिया।
प्रश्न 9. राम ने विभीषण के साथ कैसे व्यवहार किया?
उत्तर:
राम ने विभीषण के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया।
प्रश्न 10. मेघनाद को इंद्रजीत क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
मेघनाद को इंद्रजीत कहा जाता है क्योंकि उसने एकबार इंद्र को पराजित किया था, इसलिए उसे इंद्रजीत कहा जाता है।
प्रश्न 11. लक्ष्मण का उपचार किसने किया? संजीवनी बूटी कौन लाए?
उत्तर:
लक्ष्मण का उपचार वैद्य सुषेण ने किया तथा हनुमान जी संजीवनी बूटी लाए।
प्रश्न 12. रावण की सेना के चार महाबलियों के नाम लिखो।
उत्तर:
(i) धूम्राक्ष (ii) वज्रद्रष्ट (iii) अकंपन (iv) प्रहस्त
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. रावण को क्या समझाने का प्रयत्न किया और क्यों? रावण पर इसका क्या असर हुआ?
उत्तर:
विभीषण ने रावण को यह समझाने का प्रयास किया कि आप सीता को वापस लौटा दें। राम से युद्ध न करना ही ठीक हैं। इसी में सबकी भलाई है। सीता के मिल जाने पर राम लंका पर आक्रमण नहीं करेंगे और लंका विनाश से बच जाएगी। ये महाविनाश के संकेत हैं। विभीषण की बात सुन रावण क्रोध से भड़क उठा। उसने विभीषण से कहा, “तुम भाई नहीं शत्रु हो। मुझे तुम्हारी सहायता की आवश्यकता नहीं है।” यह कहकर रावण ने उसे वहाँ से चले जाने का निर्देश दिया।
प्रश्न 2. विभीषण लंका से निकलकर कहाँ पहुँचे और वहाँ किससे मिले?
उत्तर:
रावण ने क्रोधित होकर विभीषण को लंका से चले जाने के लिए कहा। विभीषण चार सहायकों के साथ लंका से निकलकर राम के शिविर में जा पहुँचे। वह सुग्रीव के माध्यम से राम से मिले। राम ने विभीषण को अपना शरणागत एवं मित्र मानकर उनका स्वागत किया।
प्रश्न 3. राम की सेना के सामने कौन-सी एक बड़ी चुनौती थी? उस चुनौती का कैसे सामना किया?
उत्तर:
राम की सेना को लंका पर आक्रमण करने के लिए समुद्र को पार करना ही सबसे बड़ी चुनौती थी। राम तीन दिन तक समुद्र से विनती करते रहे कि वह रास्ता दे दे, लेकिन वह नहीं माना। इस कारण राम क्रोधित हो गए। उनके क्रोध को शांत करने के लिए समुद्र ने उन्हें एक उपाय बताया कि उन्हीं की सेना का नल नामक एक वानर पुल बना सकता है। नल ने अगले दिन पुल बनाना आरंभ कर दिया। पाँच दिन में पुल बनकर तैयार हो गया। सबसे पहले विभीषण और उनके पीछे वानर सेना उस पुल से समुद्र पार कर गए।
प्रश्न 4. कुंभकर्ण कौन था? उसने युद्धभूमि में क्या किया? उसका अंत किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
कुंभकर्ण रावण का भाई था। युद्धभूमि में कुंभकर्ण को देखते ही वानर सेना में भगदड़ मच गई। वानरी सेना उसका मुकाबला नहीं कर पाई। उसने हनुमान और अंगद को भी घायल कर दिया। यह देख राम और लक्ष्मण ने बाणों की वर्षा कर कुंभकर्ण को मार गिराया। कुंभकर्ण सदा के लिए धरती पर सो गया।
प्रश्न 5. रावण ने कुंभकर्ण को क्यों जगाया?
उत्तर:
रावण को जब अपनी सेना के अनेक महाबलियों के मारे जाने की सूचना मिली तो उसने स्वयं सेना की कमान संभाल ली। राम के बाणों से उसका मुकुट धरती पर जा गिरा। इससे वह लज्जित होकर लौट गया। उसे अब तक राम की शक्ति का भी पता चल गया। इसलिए उसने कुंभकर्ण को जगाया।
प्रश्न 6. लक्ष्मण का उपचार किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
घायल लक्ष्मण को उठाकर हनुमान रणक्षेत्र से दूर ले गए। वैद्य सुषेण को बुलाया गया। हनुमान को संजीवनी बूटी लाने के लिए भेजा गया। बूटी आने पर इलाज शुरू हुआ। धीरे-धीरे रक्त का रिसाव बंद हो गया। घाव भर गया। संजीवनी का प्रभाव चमत्कारी था।
प्रश्न 7. युद्धभूमि में लक्ष्मण कैसे अचेत हुए तथा उनका इलाज कैसे किया गया?
उत्तर:
लक्ष्मण और रावण का भीषण युद्ध हो रहा था। तभी राम और विभीषण भी वहाँ आ गए। अपने शत्रु राम की सेना के साथ विभीषण को देखकर रावण आग बबूला हो गया। रावण उसे देशद्रोही मानता था। उसने विभीषण के ऊपर निशाना साधा, किंतु लक्ष्मण ने उसका बाण बीच से काट दिया। रावण के दूसरे घातक बाण के सामने लक्ष्मण आ गए और विभीषण को बाण लगने से बचा लिया। बाण लगते ही लक्ष्मण बेहोश हो गए। हनुमान उन्हें रणक्षेत्र से दूर ले गए। हनुमान संजीवनी बूटी लाए। वैद्य सुषेण के सलाह से लक्ष्मण शीघ्र ही ठीक हो गए।
प्रश्न 8. ऐसी कौन सी घटना घटी जिसे सुनकर रावण असंभव कहते हुए चीख उठा?
उत्तर:
नल के द्वारा पुल बनाने का काम पाँच दिनों में तैयार होने के बाद उस पुल से राम की सेना समुद्र पार कर लंका पहँची। पुल बनने की बात पर रावण काफ़ी आश्चर्यचकित हुआ। समुद्र पर पुल कैसे बन सकता है, इसी बात पर वह असंभव कहते हुए चीख पड़ा।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. लक्ष्मण और मेघनाद के युद्ध का वर्णन करें।
उत्तर:
मेघनाद और लक्ष्मण के बीच भीषण युद्ध हुआ। दोनों का निशाना अचूक था। उनके बाण हवा में टकराकर बर्बाद हो जाते। अचानक लक्ष्मण का एक बाण मेघनाद को लगा। वह घायल होकर झुक गया। लक्ष्मण ने उसके ऊपर बाणों की बौछार कर दी। मेघनाद के लिए आगे बढ़ना कठिन हो गया। वह पीछे भागकर महल में चला गया। लक्ष्मण ने कुछ दूर तक उसका पीछा किया, फिर रुक गए। लक्ष्मण को महल के अंदर जाने का रास्ता पता नहीं था। विभीषण उनकी परेशानी को समझ गए। उन्होंने लक्ष्मण को गुप्त रास्ता दिखाया। उसके बाद लक्ष्मण ने महल में प्रवेश कर मेघनाद को मारा।
प्रश्न 2. राम और रावण के बीच युद्ध का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
राम और रावण के बीच युद्ध भयानक था। शस्त्रों की गति बहुत तेज़ थी। उनसे बहुत तेज़ चिंगारी आ रही थी। हवा थम गई थी और सूरज बादलों के पीछे छिप गया था। दोनों वीर योद्धा बहादुरी के साथ लड़ रहे थे। उनका युद्ध देख अगल-बगल के छोटे-छोटे युद्ध थम गए थे। कोई योद्धा एकसूत भर पीछे हटने को राजी नहीं था। इस बीच रावण के एक बाण से राम के रथ की ध्वजा कटकर गिर पड़ी। राम ने जोर से प्रहार किया। बाण रावण के मस्तक पर लगा। रक्त की धारा बहने लगी। रावण भागकर अपने महल में चला गया। थोड़ी देर बाद राम और रावण में फिर युद्ध शुरू हो गया। राम के बाणों ने रावण के रथ का मुँह मोड़ दिया। यह पराजय का संकेत था। वह हिम्मत हार गया। जब तक वह रथ घुमाता, राम का एक बाण उसके पार निकल गया। उसके हाथों से धनुष छूट गया वह पृथ्वी पर गिर पड़ा और राम के हाथों मारा गया।
प्रश्न 3. राम की सेना के सामने क्या चुनौती थी? उसका समाधान किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
राम की सेना के सामने समुद्र को पार करने की चुनौती थी। समुद्र विशाल था। पहले राम ने हाथ जोड़कर समुद्र से प्रार्थना की कि उसे रास्ता दे दे। तीन दिनों तक वे बैठे रहे। वे समुद्र से रास्ता देने की प्रार्थना करते रहे। पर जब वह नहीं माना, तब राम क्रोध में आ गए। राम के क्रोध को देखकर समुद्र ने उन्हें सलाह दी-“आपकी की सेना में नल वानर है वह पुल बना सकता है। उससे वानर सेना पार कर जाएगी।” नल ने अगले दिन काम की शुरुआत कर दी। पुल बनने लगा। वानर कंकड़, पत्थर, शिलाएँ लाते रहे। नल पुल बनाते रहें। पाँच दिन में पुल तैयार हो गया-समुद्र को दो भागों में बाँटता हुआ। पहले विभीषण पुल के उस पार गए पीछे-पीछे वानर सेना, सेना का अगला शिविर लंका में बना। पुल बनने का समाचार सुनकर रावण आश्चर्यचकित हो गया।
मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1. यह राम कथा वाल्मीकि रामायण पर आधारित है। तुलसीदास रचित रामचरित मानस के बारे में जानकारी इकट्ठी करो और चार्टपेपर या डिस्प्ले बोर्ड पर लिखकर कक्षा में लगाओ।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
अभ्यास प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. हनुमान ने सीता को कैसे विश्वास दिलाया कि वह राम का सेवक है?
2. सीता से विदा लेकर हनुमान ने क्या किया?
3. रावण ने हनुमान को क्या सजा दी?
4. विभीषण लंका से निकलकर कहाँ गए?
5. लक्ष्मण का उपचार किस प्रकार हुआ?
6. मेघनाद को इंद्रजीत क्यों कहा जाता था?
7. विभीषण के समझाने का रावण पर क्या असर हुआ?
8. राम की सेना ने समुद्र कैसे पार किया?
9. युद्ध के मैदान में लक्ष्मण कैसे अचेत हुए?
10. कुंभकर्ण कौन था? उसकी मृत्यु किस प्रकार हुई ?
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. लक्ष्मण और मेघनाद के युद्ध का वर्णन करें।
2. राम और रावण के बीच युद्ध का वर्णन करें।
3. राम की सेना के सामने क्या चुनौती थी। उसका समाधान कैसे निकला?
4. राम और रावण की सेना के बीच हुए युद्ध का वर्णन संक्षेप में अपने शब्दों में करें।
Bal Ram Katha Class 6 Chapter 11 Summary
सुग्रीव ने युद्ध की तैयारियाँ तुरंत आरंभ करने का निर्देश दिया। सुग्रीव ने लक्ष्मण के साथ बैठकर युद्ध की योजना पर विचार-विमर्श किया। योग्यता और उपयोगिता के आधार पर भूमिकाएँ निश्चित कर दी गईं। समुद्र को पार करने के तरीके पर भी विचार हुआ। लंका कूच करने की तैयारियाँ रातभर चलती रहीं। सेना किष्किंधा से दहाड़ती, किलकारियाँ भरती रवाना हुई। हनुमान, अंगद, जामवंत, नल और नील को आगे रखा गया। युद्ध के नियम और अपनी रक्षा के तरीके भी बताए गए।
सुग्रीव के सेनापति नल सेना का नेतृत्व कर रहे थे। जामवंत और हनुमान सबसे पीछे थे। दिन रात चलकर सेना ने महेंद्र पर्वत पर अपना डेरा डाला। उधर लंका में खलबली मची हुई थी। समुद्र निकट ही था। पर्वत पर सेना का ध्वज लहरा रहे थे। उधर राक्षसों को यह डर सता रहा था कि जिसका दूत लंका में आग लगा सकता है वह स्वयं कितना शक्तिशाली होगा लेकिन रावण इससे अनभिज्ञ था। विभीषण सेना की हताशा से परिचित हो गए थे। वे रावण को वस्तु स्थिति बताने के लिए गए। उन्होंने सीता को लौटा देने की सलाह दिया। विभीषण की बात अनसुनी कर दी। उन्हें अपने कक्ष से निकाल दिया। फिर भी विभीषण रावण को समझाने लगे। रावण क्रुद्ध हो उठा बोला निकल जाओ, तुम मेरे भाई नहीं, शत्रु के शुभचिंतक हो। विभीषण उसी रात अपने चार सहायकों के साथ लंका से निकल गए। दोनों के रास्ते अलग हो गए। विभीषण उसी रात राम के पास जाना चाहते थे। विभीषण को देखकर वानर चिल्लाकर सबको सावधान कर रहे थे। वानर उन्हें सुग्रीव के सामने लाए। विभीषण बोले “मैं लंका के राजा रावण का छोटा भाई हूँ। मैं राम की शरण में आया हूँ, मुझे उनके पास पहुँचा दें।” सुग्रीव राम के पास गए। उनकी बात सुनकर राम ने कहा-“हमें विभीषण को स्वीकार करना चाहिए। विभीषण को आदर सहित अंदर लाइए।” जल्दी ही विभीषण राम के विश्वासपात्र बन गए। विभीषण ने उन्हें रावण की शक्ति से परिचित कराया। राम ने विभीषण को आश्वस्त करते हुए कहा-“विभीषण तुम चिंता मत करो। राक्षस मारे जाएंगे। लंका की गद्दी तुम्हारी होगी।” विभीषण ने लंका की बहुत-सी जानकारी राम को दी। रावण और उसके योद्धाओं की शक्ति के बारे में बताया। अब समस्या थी कि समुद्र को पार कैसे किया जाए। राम ने समुद्र से विनती की कि समुद्र रास्ते दे दे। वह नहीं माना। राम को क्रोध आ गया। राम का क्रोध देखते हुए समुद्र ने राम को सलाह दी कि आपकी सेना में नल पुल बना सकता है। अगले दिन नल ने समुद्र पर पुल बनाने का काम प्रारंभ कर दिया। पाँच दिन में पुल तैयार हो गया। पुल बनने की बात सुनकर रावण क्रोध से चीख उठा। राम की सेना समुद्र पार गई थी। अब दोनों सेनाएँ समुद्र के एक ओर थीं। राम अपनी सेना को चार भागों में बाँट रखा था। राम ने स्वयं पर्वत पर चढ़कर लंका का निरीक्षण किया। राम ने लक्ष्मण को आदेश दिया कि सूर्योदय होते ही लंका को घेर लिया जाए। वानर सेना जय-जयकार करती चल पड़ी। इसी बीच राम ने अंगद को अपना दूत बनाकर लंका भेजा। राम ने कहा कि सुलह का अंतिम प्रयास कर लो ताकि रावण सीता लौटा दे और युद्ध टल जाए। रावण उनका संदेश सुनकर क्रोधित हो उठा। अंगद ने सारी स्थिति से राम को परिचित करा दिया। अब युद्ध छिड़ गया। भयानक युद्ध हुआ। शाम होते समय मेघनाद ने रावण सेना को पीछे हटते देखा। मेघनाद की नज़र राम-लक्ष्मण पर थी। वह मायावी राक्षस था। उसके बाण राम-लक्ष्मण को लग गए। दोनों मूच्छित होकर गिर पड़े। मेघनाद दोनों भाइयों को मृत समझकर रावण को सूचना देने के लिए राजमहल की ओर दौड़ा। इधर सभी वानर राम-लक्ष्मण के पास एकत्र हो गए। विभीषण ने दोनों का उपचार किया। उनकी मूर्छा टूटी तो सभी वानर युद्ध के लिए तैयार हो गए और वानरों में खुशी की लहर दौड़ गई।
अगले दिन फिर युद्ध की शुरुआत हुई। रावण की सेना के महाबली एक-एक करके मारे जाने लगे। युद्ध में धूम्राक्ष, वज्रद्रष्ट, अकंपन, प्रहस्त मारे गए। रावण को सारी सूचनाएँ मिल रही थीं। अब उसने स्वयं युद्ध का. नेतृत्व संभाला। पहली मुठभेड़ में वह लक्ष्मण पर भारी पड़ा, परंतु राम के बाणों ने उसका मुकुट ज़मीन पर गिरा दिया। रावण लज्जित हो गया। उसने अपने भाई कुंभकर्ण को जगाया जो छह महीना सोता और छह महीना जागता था। कुंभकर्ण ने अंगद और हनुमान को घायल कर दिया। फिर राम-लक्ष्मण ने यह देखकर बाणों की वर्षा करके उसे मार दिया। रावण निराश हो गया। कुंभकर्ण के मरने से लंका अनाथ हो गई। मेघनाद ने रावण को सहारा दिया। मेघनाद ने रावण से कहा आप मुझे आज्ञा दें मैं दोनों भाइयों को मारकर आपके चरणों में ला दूंगा। मेघनाद और लक्ष्मण में भीषण युद्ध हुआ। अचानक लक्ष्मण का एक बाण उसे लगा। मेघनाद घायल होकर महल की ओर भागा। लक्ष्मण उसका पीछा करना चाहते थे पर महल की संरचना उन्हें पता नहीं थी। तभी विभीषण ने लक्ष्मण को महल का गुप्त मार्ग बताया। मेघनाद महल में मारा गया। अब रावण विलाप करने लगा। वह मूच्छित हो गया। लक्ष्मण की वानर सेना भी महल में प्रवेश कर गई थी। वानरों ने लंका को तहस-नहस कर दिया। लक्ष्मण ने अतिकाय का सिर काट डाला। वानरों ने लंका में आग लगा दी। चारों ओर मारकाट मच गई। अकंपन, प्रजंध, युपाक्ष, कुंभ मारे गए। राक्षस सेना भाग खड़ी हुई। अब रावण अकेला बच गया था। विभीषण को राम की सेना में देखकर रावण उबल पड़ा। पहले उसने अपने छोटे भाई को शत्रु मानकर बाण चलाया पर लक्ष्मण ने उस बाण को बीच में ही काट दिया। दूसरी बार बाण लक्ष्मण को लगा। लक्ष्मण अचेत होकर धरती पर गिर पड़े। राम ने रावण को चुनौती देते हुए कहा-तेरा अंत निश्चित है। हनुमान लक्ष्मण को रक्षाक्षेत्र से दूर ले गए। वैद्य सुषेण को बुलाया गया। हनुमान संजीवनी बूटी लाए। धीरे-धीरे रक्त रिसाव बंद हो गया। लक्ष्मण स्वस्थ हो गए। अब राम-रावण का युद्ध भयानक हो गया। रावण का एक बाण राम को लगा। उनके रथ की ध्वजा कटकर गिर पड़ी। राम ने प्रहार किया। बाण रावण के मस्तक पर लगा। रक्त की धारा बह निकली। वह अपने महल में चला गया। युद्ध फिर शुरू हुआ। राम के बाणों ने रावण के रथ का मुँह तोड़ दिया। यह पराजय का संकेत था। रावण हिम्मत हारने लगा। राम का एक बाण रावण के पार निकल गया। रावण के हाथ से धनुष छूट गया और वह पृथ्वी पर गिर पड़ा। लंका विजय अभियान पूरा हुआ। राम की जयकार होने लगी। बची हुई सेना इधर-उधर जान बचाकर भागने लगी।
इधर विभीषण अपने भाई की मौत पर विलाप कर रहे थे। राम ने उनको ढाढस बँधाया। उन्हें समझाया कि रावण महान योद्धा था। मृत्यु सत्य है इसे स्वीकार करो। राम ने सुग्रीव को गले लगा लिया। राम ने एक-एक वानर का आभार माना। राम ने लक्ष्मण से विभीषण के राज्याभिषेक की तैयारी करने को कहा। हनुमान को अशोक वाटिका में जाकर सीता को लंका-विजय का समाचार सुनाने को कहा गया।
रावण के अंत्येष्टि के बाद विभीषण का राज्याभिषेक शुरू हो गया। लक्ष्मण विभीषण को राजसिंहासन तक लाए। समुद्र-जल से उनका अभिषेक किया गया। हनुमान सीता को लेकर वहाँ आ गए। सभी वानरों ने पहली वार सीता माँ को देखा। सुग्रीव नल-नील ने भी उनके दर्शन किए। सीता एक वर्ष बाद राम से मिलीं।
शब्दार्थ:
पृष्ठ संख्या 69
कूच – प्रस्थान। तत्पर – तैयार। भयानक – डरावना। कोलाहल – शोरगुल। रणनीति – युद्ध करने का ढंग। तंबू – शामियाना। शक्तिशाली – बलवान। हताश – निराश। स्थिति – दशा।
पृष्ठ संख्या 70
पताका – झंडा। शुभचिंतक – भला सोचने वाला। शक्ति – ताकत, बल। विश्वास – भरोसा। अहंकार – घमंड। विश्वासपात्र – जिस पर विश्वास किया जाय। सभागार – सभा भवन। अपमानित – लज्जित। सत्कार – आदर-सम्मान।
पृष्ठ संख्या 71
विस्मय – हैरान, आश्चर्य। विभक्त – बँटा हुआ। प्रयास – कोशिश। शिखर – चोटी। निरीक्षण – जाँच। सुलह – समझौता। पश्चाताप – पछतावा। प्रतीक्षा – इंतजार।
पृष्ठ संख्या 73
उतावला – बेचैन। चीत्कार – चिल्लाना। ढेर होना – मर जाना। क्षत-विक्षत – छिन्न-भिन्न करना, घायल करना। मूर्छित – बेहोश। मृत – मरा हुआ। उपचार – इलाज। ध्वस्त – नष्ट। अक्षम – अयोग्य।
पृष्ठ संख्या 75
रणभूमि – युद्ध का मैदान। अनुमति – आज्ञा। अंक – गोद । पराक्रमी – ताकतवर। चकित – हैरान। संरचना – बनावट। ज्येष्ठ – बड़ा। शस्त्रागार – हथियारों का भंडार।
पृष्ठ संख्या 77
विश्वासघात – धोखा देना। अचेत – बेहोश। निगरानी में – देखरेख में। चिकित्सा – इलाज। सूचना – खबर। समाप्तखत्म। महासंग्राम – महायुद्ध।
पृष्ठ संख्या 78
हिम्मत – साहस। कोलाहल – शोर। अंत्येष्टि – अंतिम संस्कार। विलंब – देरी। स्वर्ण कलश – सोने का कलश।
पृष्ठ संख्या 79
अधीर – बेचैन। व्यवस्था – इंतजाम। सौम्य – शांत।
NCERT Solutions For Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 11 PDF
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