Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 10
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Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 10
पाठाधारित प्रश्न
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. बाली किसके द्वारा मारा गया?
उत्तर:
बाली राम के द्वारा मारा गया।
प्रश्न 2. लंकारोहण के लिए वानरों के कितने दल बनाए गए?
उत्तर:
लंकारोहण के लिए चार वानरों के दल बनाए गए।
प्रश्न 3. जामवंत किस बात में सफल हुए?
उत्तर:
जामवंत रावण तक पहुँचने में सफल हुए।
प्रश्न 4. हनुमान एक ही छलाँग में कहाँ जा खड़े हुए?
उत्तर:
हनुमान एक ही छलाँग में महेंद्र पर्वत पर जा खड़े हुए।
प्रश्न 5. हनुमान के रास्ते में कौन-कौन सी राक्षसियाँ आईं?
उत्तर:
हनुमान के रास्ते में सुरसा तथा सिंहिका राक्षसियाँ आईं।
प्रश्न 6. समुद्र के अंदर कौन-सा पर्वत था?
उत्तर:
समुद्र के अंदर मैनाक पर्वत था। वह चमकता हुआ सुनहारा पर्वत था।
प्रश्न 7. सिंहिका नामक राक्षसी ने क्या किया?
उत्तर:
वह छाया राक्षसी थी। उसने जल में हनुमान की परछाई पकड़ ली हनुमान ने उसे मार डाला।
प्रश्न 8. हनुमान ने लंका में कब प्रवेश किया?
उत्तर:
हनुमान ने शाम ढलते लंका नगरी में प्रवेश किया?
प्रश्न 9. हनुमान को सीता कहाँ मिली?
उत्तर:
हनुमान को सीता अशोक वाटिका में मिलीं।
प्रश्न 10. हनुमान ने सीता को क्या-क्या दिया?
उत्तर:
हनुमान ने सीता को राम की अंगूठी दी तथा उनका संदेश दिया।
प्रश्न 11. हनुमान से लड़ते हुए कौन मारा गया?
उत्तर:
हनुमान से लड़ते हुए रावण का पुत्र अक्षय कुमार मारा गया।
प्रश्न 12. वानर सेना के सामने क्या चुनौती थी?
उत्तर:
वानर सेना के सामने सागर को पार करने की चुनौती थी।
प्रश्न 13. रावण ने हनुमान की पूंछ में आग लगाने का आदेश क्यों दिया?
उत्तर:
रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगाने का आदेश इसलिए दिया क्योंकि उसने लंका में बहुत उत्पात मचाया।
प्रश्न 14. हनुमान ने लंका में आग कैसे लगायी?
उत्तर:
हनुमान ने लंका में रावण द्वारा हनुमान की पूछ में आग लगाने पर उसने सारी लंका जला डाली।
प्रश्न 15. हनुमान ने अशोक वाटिका में क्या उत्पात किया?
उत्तर:
हनुमान ने अशोक वाटिका को तहस-नहस कर उजाड़ दिया। वृक्ष उखाड़ दिए।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. लंका जाते हुए मार्ग में हनुमान को किन-किन बाधाओं का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
लंका जाते हुए हनुमान को कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ा। रास्ते में राक्षसी सुरसा आई। उसका शरीर विराट था। वह हनुमान को खा जाना चाहती थी। पवन पुत्र हनुमान उसे चकमा देकर आगे बढ़ गए। वे उसके मुँह में घुसे और तत्काल ही निकलकर आगे बढ़ गए। आगे उन्हें सिंहिका नाम की राक्षसी का सामना करना पड़ा। उसने हनुमान की परछाई पकड़ ली। इससे वे अचानक आसमान में ठहर गए। हनुमान को उस पर क्रोध आया। उन्होंने सिंहिका को मार डाला और आगे बढ़े।
प्रश्न 2. हनुमान के छलाँग लगाने पर महेंद्र पर्वत पर आए परिवर्तन को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
जब जामवंत ने हनुमान से कहा कि सीता की खोज सिर्फ आप ही कर सकते हैं। तब हनुमान उठे और धरती को प्रणाम कर एक ही छलाँग में महेंद्र पर्वत पर पहुँच गए। हनुमान के छलाँग से पर्वत दरक गया, वृक्ष काँपने लगे, पशु-पक्षी चीत्कार करने लगे, चट्टानें आग के गोलों की तरह दहक उठीं। हनुमान इन सब बातों से बेखबर-वायु गति से आगे बढ़ते गए। कई स्थानों पर जल के झरने फूट पड़े। कहीं धुआँ उठने लगा।
प्रश्न 3. हनुमान ने लंका में सीता की खोज किस प्रकार की?
उत्तर:
लंका पहुँचकर हनुमान ने शाम ढलने पर नगरी में प्रवेश किया। हनुमान ने रात के अंधेरे में रावण के महल का कोना-कोना छान मारा, परंतु सीता जैसी कोई स्त्री वहाँ नहीं मिली। फिर उन्होंने सभी राक्षसों के घर छान लिए। पशुशालाएँ भी देख लीं। अंत में उन्हें वाटिका दिखाई दी, जिसमें अशोक के बड़े-बड़े वृक्ष लगे थे। वह दीवार लाँघकर वाटिका में पहुँचे। वे एक वृक्ष पर चढ़कर बैठ गए। उन्हें एक वृक्ष के नीचे राक्षसियों का झुंड दिखाई दिया। उन्हें राक्षसियों के बीच बैठी एक स्त्री दिखाई दी। उनका चेहरा मुरझाया हुआ और दयनीय था। वे देखते ही पहचान गए कि यह सीता हैं। इस तरह हनुमान सीता को खोजने में सफल हो गए।
प्रश्न 4. रावण ने सीता को अपने वश में करने के लिए क्या-क्या प्रयास किया?
उत्तर:
रावण ने अपने वश में करने के लिए सीता को हर तरह से डराया, लालच दिया। सीता काँप रही थीं। उन्होंने रावण का तिरस्कार किया। रावण ने सीता से कहा-‘सुमुखी’। मैं तुम्हें स्पर्श नहीं करूँगा, जब तक स्वयं ऐसा नहीं चाहोगी मैं तुम्हें अपनी रानी बनाना चाहता हूँ। मेरी बात मान लो तुम्हें अपनी रानी बनाना चाहता हूँ। मेरी बात मान लो और सुख भोग का आनंद लो।
प्रश्न 5. हनुमान लंका को देखकर चकित हो गए?
उत्तर:
लंका नगरी देखने के लिए हनुमान एक पहाड़ी पर चढ़ गए। वहाँ से चारों ओर नज़र दौड़ाई। लंका सोने की सुंदर नगरी थी। उन्होंने ऐसा नगर कभी नहीं देखा था। चारों ओर मटकते बगीचे, हरे-भरे पेड़ तथा भव्य भवन थे। राक्षस नगरी में इतनी सुंदरता को देखकर ही हनुमान चकित थे।
प्रश्न 6. हनुमान ने सीता को देखकर कैसे पहचाना?
उत्तर:
अचानक वाटिका के एक कोने से राक्षसियों की हँसी सुनाई पड़ी। हनुमान पेड़ से चिपककर नीचे की डाली पर आए। उन्होंने राक्षसियों के बीच एक शोकाग्रस्त, दुर्बल, दयनीय स्त्री को देखा। उनका चेहरा मुरझाया हुआ था। वह उदास और दयनीय लग रही थीं। वह अत्यंत दुर्बल भी हो गई थीं। उनका शोकाग्रस्त चेहरा देखते ही हनुमान ने अनुमान लगा लिया कि यही सीता माँ हैं।
प्रश्न 7. हनुमान ने पेड़ से नीचे उतरकर सीता को अपना परिचय किस प्रकार दिया?
उत्तर:
हनुमान पेड़ से नीचे उतरे। सीता को प्रणामकर राम की अंगूठी उन्हें दी और बोले, ‘हे माता मैं राम का दास हूँ। उन्होंने मुझे यहाँ भेजा है। सीता के मन की शंका को दूर करने के लिए उन्होंने सीता द्वारा पर्वत पर फेंके गए आभूषणों की याद दिलाई। तब जाकर सीता के मन का संदेह दूर हुआ।
प्रश्न 8. लंका छोड़ने से पहले हनुमान ने लंका में उत्पात क्यों मचाया?
उत्तर:
हनुमान को सीता का पता लगने के बाद इसकी सूचना राम को अतिशीघ्र देना चाह रहे थे, पर लंका छोड़ने से पहले वे रावण से मिलना चाहते थे। अतः रावण से मिलने का अब एक ही तरकीब था कि लंका में उत्पात मचाया जाए। अतः अब उन्होंने लंका में उत्पात मचाया और अनेक राक्षसों को मार डाला तो राक्षस भागे-भागे राजमहल गए और इसकी सूचना रावण को दी। अंततः मेघनाद ने हनुमान को बाँधा और रावण के पास ले गया।
प्रश्न 9. हनुमान ने लंका से किष्किंधा लौटकर राम से क्या कहा?
उत्तर:
हनुमान ने लंका से किष्किंधा लौटकर राम को सीता के द्वारा दिया गया अपना एक आभूषण चूड़ामणि दिया। हनुमान ने सीता से अपनी भेंट का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि वे बहुत व्याकुल हैं। वे बहुत चिंतित हैं। वे सदा राक्षसराक्षसियों से घिरी रहती हैं। वे आपकी प्रतीक्षा में हैं। उन्होंने कहा है-यदि श्रीराम दो माह में यहाँ नहीं आँऐगे तो पापी रावण मुझे मार डालेगा।
प्रश्न 10. हनुमान से सीता का समाचार जानकर वानरों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
दूसरे किनारे सागर तट पर प्रतीक्षा कर रहे वानर हनुमान से सीता का समाचार जानकर किलकारियाँ भरने लगे। खुशी में उनका जंगल में उत्पात बढ़ गया। उन्होंने रास्ते में कई वन उजाड़े। फल खाए और फें के। सभी वानर खुशी में कूदते हुए किष्किंधा पहुँच गए और राम को सीता की सूचना दी। वहाँ पहुँचकर हनुमान ने राम को सीता द्वारा दिया गया आभूषण चूड़ामणि दिया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. हनुमान की लंका-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
हनुमान ने लंका जाते हुए झुककर धरती को छुआ और एक ही छलाँग में महेंद्र पर्वत पर जा खड़े हुए। वहाँ से उन्होंने विराट समुद्र को देखा। फिर पूर्व की दिशा को मुँह करके पिता को प्रणाम किया। अगले पल हाथ ऊपर उठा करके छलांग लगा दी। अगले पल ही वे आकाश में थे। हनुमान के छलाँग लगाने तक पर्वत शांत था। छलाँग के दबाव से पर्वत दरक गया। हनुमान वायु की गति से आगे बढ़ रहे थे। मार्ग में उन्होंने दिशा बदली। समुद्र में ऊँची-ऊँची लहरें उठने लगीं। समुद्र में एक पर्वत था-मैनाक। उसके अनुरोध पर भी वहाँ नहीं रुके। हनुमान के रास्ते में कई बाधाएँ आईं। रास्ते में विराट शरीर वाली राक्षसी सुरसा मिली। वह हनुमान को खाना चाहती थी। हनुमान मुँह में घुसकर बाहर निकल आए। आगे जाने पर सिंहिका नामक छाया राक्षसी ने जल में हनुमान की परछाई पकड़ ली। हनुमान अचानक आसमान में ठहर गए। क्रोधित होकर उन्होंने सिंहिका को मार डाला। अब उन्हें चमकती सोने की लंका दिखाई पड़ने लगी। दूसरे दिन शाम ढलने पर वे लंका में प्रवेश कर गए।
प्रश्न 2. हनुमान-सीता भेंट का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हनुमान को अंततः सीता अशोक वाटिका में मिल गईं। पहले पेड़ पर उन्होंने बैठे-बैठे राम कथा शुरू कर दी। राम का गुनगान सुनकर सीता ने पूछा, ‘तुम कौन हो?’ फिर हनुमान पेड़ से नीचे उतरे और सीता को बताया मैं श्रीराम का दास हूँ। उन्होंने मुझे यहाँ आपका समाचार लेने के लिए भेजा है। सीता ने राम का कुशल-क्षेम पूछा। हनुमान सीता को अपने कंधे पर बिठाकर राम तक ले जाना चाहते थे। पर सीता ने इस प्रकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। यह कार्य उन्हें अनुचित लगा। फिर हनुमान ने सीता से विदा ली चलते समय सीता ने अपना एक आभूषण चूड़ामणि हनुमान को दिया। हनुमान ने सीता को विश्वास दिलाया-‘निराश न हो, माते! श्रीराम दो माह में यहाँ अवश्य पहुँच जाएँगे।’ इसके बाद चलते समय हनुमान ने अशोक वाटिका को तहस-नहस कर डाला।
प्रश्न 3. त्रिजटा कौन थी? उसने रात में क्या सपना देखा?
उत्तर:
त्रिजटा लंका की एक राक्षसी थी। वह अन्य राक्षसियों से बिलकुल अलग थी। वह सीता को डराती-धमकाती नहीं थी। वह सीता से अपनत्व जताते हुए बात करती थी। एक दिन उसने सीता से कहा कि उसने एक सपना देखा है। पूरी लंका समुद्र में डूब गई है। सब कुछ बर्बाद हो गया है। यह सपना अच्छा नहीं है। वह सोच में पड़ गई कि कहीं यह सपना सीता के दुख से जुड़ा तो नहीं है।
मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1. राम कथा में कई नदियों और स्थानों के नाम आए हैं। इसकी सूची बनाओ और एटलस में देखो कि कौन-कौन सी नदियाँ और जगहें अभी भी मौजूद हैं। यह काम आप चार-चार ग्रुप बनाकर पता करके लिखो।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।
अभ्यास प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. समुद्र को पार किसने किया?
2. किस-किस राक्षसी ने हनुमान के मार्ग को रोका?
3. रावण ने सीता को कहाँ ठहराया हुआ था?
4. हनुमान ने सीता को कैसे विश्वास दिलाया कि वे राम के सेवक हैं ?
5. हनुमान ने सीता को क्या-क्या दिया?
6. हनुमान से लड़ते हुए कौन मारा गया?
7. विभीषण ने रावण को हनुमान को मारने से क्यों रोका?
8. वानर सेना के सामने क्या चुनौती थी?
9. हनुमान ने लंका में सीता की खोज किस प्रकार की?
10. हनुमान से सीता का समाचार जानकर वानरों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
11. हनुमान लंका को देखकर चकित क्यों हो गए?
12. हनुमान को लंका कैसी दिखाई दी?
13. त्रिजटा कौन थी? उसने रात में क्या स्वप्न देखा था?
14. हनुमान ने पकड़े जाने पर रावण से क्या कहा?
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. सीता-हनुमान की क्या बात हुई?
2. हनुमान सीता को देखकर कैसे पहचान गए?
3. महेंद्र पर्वत के सौंदर्य का संक्षिप्त वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
4. लंका तक हनुमान की यात्रा का वर्णन कीजिए।
5. लंका में हनुमान ने क्या उत्पात मचाया?
Bal Ram Katha Class 6 Chapter 10 Summary
मार्ग में समुद्र देखकर वानर दल असमंजस में पड़ गए। इस दल में सबसे बुद्धिमान जामवंत थे। वे जानते थे कि समुद्र पार करना हनुमान के बस की बात है और यह काम हनुमान ही कर सकते हैं। जामवंत ने हनुमान से कहा कि यह काम आप कर सकते हैं। तब हनुमान उठे और धरती को प्रणाम कर एक ही छलांग में महेंद्र पर्वत पर पहुँच गए। वहाँ से उन्होंने विराट समुद्र की ओर देखा। हनुमान ने वहाँ पूर्व दिशा की ओर देखकर अपने पिता को प्रणाम किया। हनुमान ने पर्वत पर झुककर उसे हाथ-पैर से कसकर दबाया और छलाँग लगा दी। अगले पल वे आकाश में थे। हनुमान के छलाँग से पर्वत दरक गया, वृक्ष काँपने लगे, पशु-पक्षी चीत्कार करने लगे चट्टान आग के गोला की तरह दहक उठे। हनुमान इन सब बातों से बेखबर-वायु गति से आगे बढ़ते गए। उनकी परछाई समुद्र में नाव की तरह दिखाई देती थी। समुद्र के अंदर एक पर्वत ‘मैनाक’ था। वह जलराशि को चीरकर ऊपर उठा। मैनाक चाहता था कि हनुमान यहाँ रुककर कुछ देर विश्राम कर लें लेकिन हनुमान राम के कार्यों में लीन थे। उनको रास्ते में कई बाधाएँ आईं। सुरसा राक्षसी उन्हें खा जाना चाहती थी। उस राक्षसी का शरीर विशाल था। हनुमान उसके मुँह में घुसकर निकल आए। आगे सिंहिका राक्षसी मिली। सिंहिका राक्षसी ने हनुमान की छाया पकड़ ली। क्रोधित होकर हनुमान ने उसे भी मार दिया।
अब लंका दूर नहीं थी। वह दूर क्षितिज पर दिखाई पड़ने लगी थी। लंका नगरी देखने के लिए हनुमान एक पहाड़ी पर चढ़ गए। सोने की लंका दूर से ही जगमगा रही थी। उन्होंने ऐसा नगर पहले कभी नहीं देखा था। हनुमान समुद्र के किनारे उतर गए। वह अब लंका को और निकट से देख पा रहे थे। इतनी लंबी यात्रा करने के बाद भी हनुमान बिलकुल भी नहीं थके थे। वे राक्षस नगरी की सुंदरता को देखकर चकित हो गए। अब हनुमान के सामने सीता को ढूँढ़ने की समस्या थी। दिन के समय लंका में प्रवेश करना हनुमान को उपयुक्त नहीं लगा। शाम ढलने पर उन्होंने नगरी में प्रवेश किया। वे चारों ओर सीता की खोज करने लगे। सीता महल में कहीं नज़र नहीं आई तब हनुमान महल से बाहर निकल आए।
अंत:पुर के बाहर हनुमान ने रावण का रथ देखा। वह रत्नों से सजा था। वे इस रथ को देखकर चकित रह गए। तभी उनका ध्यान अशोक वाटिका की तरफ गया। वे दीवार लाँघकर वहाँ पहुँचे। वहाँ ऊँचे-ऊँचे पेड़ लगे हुए थे। वहाँ भी उन्हें सीता दिखाई नहीं दीं। उनमें निराशा घर करती जा रही थी। वह एक पेड़ पर चढ़कर बैठ गए। वे उसके पत्तों में छिप गए। वे वहाँ से सब कुछ देख सकते थे और उन्हें कोई नहीं देख सकता था। रात हो गई। अचानक वाटिका के एक कोने से अट्टहास सुनाई पड़ा। राक्षसियों का झुंड किसी बात पर अट्टहास कर रहा था। इसके बाद हनुमान पेड़ से चिपककर नीचे की डाली पर आए। उन्होंने राक्षसियों के बीच एक शोकग्रस्त, दुर्बल, दयनीय नारी को देखा। हनुमान ने अनुमान लगाया कि यही सीता माँ हैं। तभी उन्होंने राजसी ठाट-बाट के साथ रावण को आते देखा। रावण ने सीता को बहलाया-फु सलाया, लालच दिया। सीता नहीं डिगीं। वह बोलीं दुष्ट। राम के सामने तुम्हारा अस्तित्व ही क्या है? मुझे राम के पास पहुँचा दो। वे तुम्हें क्षमा कर देंगे। रावण क्रोध में पैर पटकता हुआ चला गया। उसके बाद सीता को राक्षसियों ने घेर लिया और वे सब रावण का प्रस्ताव स्वीकार कर लेने के लिए सीता पर दबाव देने लगीं। उन राक्षसियों में एक त्रिजटा नाम की राक्षसी भी थी। उसकी सहानुभूति सीता के साथ थी। देर रात तक एक-एक कर राक्षसियाँ चली गईं। अब सीता वाटिका में अकेली थीं। हनुमान ने पेड़ पर-बैठे-बैठे राम कथा शुरू कर दी। राम का गुनगान सुनकर सीता चौंक उठीं। उन्होंने ऊपर देखकर पूछा, “तुम कौन हो?” हनुमान नीचे उतर आए। सीता को प्रणाम कर राम की अंगूठी उन्हें दी। उन्होंने स्वयं को श्रीराम का दास बताया। श्रीराम ने मुझे यहाँ भेजा है। सीता ने राम का कुशल-क्षेम पूछा।
हनुमान को लेकर सीता के मन में अभी भी शंका थी। हनुमान ने पर्वत पर फेंके आभूषणों की याद दिलाकर उनकी शंका दूर कर दी। हनुमान सीता को कंधे पर बिठाकर राम के पास ले जाना चाहते थे किंतु सीता ने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा ऐसा करना उचित नहीं होगा। हनुमान ने सीता से विदा ली। वे पूरी सूचना लेकर तत्काल राम तक पहुँचना चाहते थे। उन्होंने विश्वास दिया कि-निराश न हो, माते! श्रीराम यहाँ दो माह में अवश्य पहुँच जाएँगे। हनुमान ने जाने से पहले रावण का उपवन तहस-नहस कर दिया। अशोक वाटिका उजाड़ दी। विरोध करने वाले सभी राक्षसों को मार डाला। रावण का पुत्र अक्षय कुमार भी मारा गया। चलते समय सीता ने अपना एक आभूषण चूड़ामणि हनुमान को दिया।
राक्षसों ने इसकी सूचना रावण को दी। रावण के क्रोध का ठिकाना न रहा। उसने मेघनाद को भेजा। मेघनाद ने हनुमान से भीषण युद्ध किया। वह इंद्रजीत था। अंततः उसने हनुमान को बाँध लिया। राक्षस उन्हें खींचते हुए रावण के दरबार में ले आए। रावण के प्रश्नों का उत्तर निर्भीकतापूर्वक देते हुए हनुमान ने कहा-मैं श्रीराम का दास हूँ। मैं सीता की खोज में आया था। उनसे मैं मिल चुका हूँ। आपके दर्शन करने के लिए मुझे इतना उत्पात करना पड़ा। क्रोध में रावण हनुमान को मारने उठा किंतु विभीषण ने यह कहकर रोक दिया कि दूत का वध निषेध है। आप इसे कोई दूसरा दंड दें। हनुमान ने पुनः रावण से निवेदन किया कि आप सीता को सम्मान के साथ लौटा दें। रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगा देने की आज्ञा दी। राक्षसों ने उनके पूँछ में आग लगा दी। हनुमान ने एक से दूसरी अटारी पर कूदते हुए सारे भवन को जला दिया। चारों ओर हाहाकार मच गया। सीता सकुशल पेड़ के नीचे बैठी हुई थीं। उन्होंने देखा सीता पेड़ के नीचे सकुशल बैठी थीं। हनुमान ने सकुशल देखा और प्रणाम करके राम के पास चल पड़े।
दूसरे तट पर अंगद, जामवंत आदि उनकी प्रीतक्षा कर रहे थे। हनुमान ने संक्षेप में लंका का हाल सुनाया। सभी वानर खुश हो गए। वे सभी किष्किंधा पहुँच गए। हनुमान ने राम को सीता द्वारा दिया गया चूड़ामणि उतारकर दे दिया। राम की आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने हनुमान को गले लगा लिया। समय कम था। लंका पर आक्रमण करना था। वानर-सेना इसके लिए तैयार थी। सुग्रीव ने लक्ष्मण के साथ बैठकर युद्ध की योजना पर विचार किया। योग्यता और उपयोगिता के आधार पर भूमिकाएँ निश्चित कर दी गईं। समुद्र को पार करने के तरीके पर भी विचार हुआ। हनुमान, अंगद, जामवंत, नल और नील को आगे रखा गया।
शब्दार्थ:
पृष्ठ संख्या 61
समर्पण – सौंपना। गरिमा – गौरव, सम्मान। परिजन – संबंधी, रिश्तेदार। गति – चाल। अंगड़ाई – जम्हाई लेना। शिखर – चोटी। विराट – विशाल। चुनौती – ललकारना। समर्पण – त्याग। परिजन – रिश्तेदार। निश्चल – शांत। चीत्कार – चीखना। बेखबर – निश्चित। परछाईं – छाया।
पृष्ठ संख्या 63
पवन – पुत्र-हनुमान। चकमा देना – धोखा देना। विवरण – वर्णन। कक्ष – कमरा । वैभवपूर्ण – ऐश्वर्यशाली, शानदार। अधिकतर – ज्यादातर।
पृष्ठ संख्या 64
स्वर्ण – सोने। चकित – हैरान। वाटिका – बगीचा। शोकग्रस्त – दुखी। अट्टहास – तेज हँसी। आतुर – बेचैन। राजसी – राजाओं का सा। ठाट-बाट – शान-शौकत। लालच – लोभ।
पृष्ठ संख्या 65
तिरस्कार – अपमान। स्पर्श – छूना। अस्तित्व – होना। अवसर – मौका। कुशल-क्षेम – कुशल-मंगल।
पृष्ठ संख्या 67
महाबली – बलवान। तिलमिलाना – व्याकुल होना। जघन्य – घोर। उत्पात – परेशान करना। ठिठोली – मज़ाक।
पृष्ठ संख्या 68
अचानक – एकाएक। संक्षेप – सारांश। निर्धारित करना – तय करना।
NCERT Solutions For Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 10 PDF
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