Article 3 In Hindi | Article 3 Of Indian Constitution In Hindi | अनुच्छेद 3 क्या है?
इसमे आपको Article 3 Of Indian Constitution In Hindi के बारे मे बताया गया है। अगर आपको Article 3 In Hindi मे जानकारी नहीं है कि अनुच्छेद 3 क्या है, तो इस पोस्ट मे आपको पूरी जानकारी मिलेगी।
अनुच्छेद हमारे भारतीय संविधान मे दिए गए है, जिसने हर एक प्रावधान को एक अंक दिया गया है, जिसमे Article 3 भी एक है, तो चलिए जानते है इसके बारे में।
Article 3 Of Indian Constitution In Hindi
अनुच्छेद 3: नए राज्यों का निर्माण(Formation of new States and alteration of areas)
संसद्, विधि द्वारा- (क) किसी राज्य में से उसका राज्यक्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों को मिलाकर अथवा किसी राज्यक्षेत्र को किसी राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकेगी।
(ख) किसी राज्य का क्षेत्र बढ़ा सकेगी;
(ग) किसी राज्य का क्षेत्र घटा सकेगी;
(घ) किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगी;
(ङ) किसी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकेगी;
परंतु इस प्रयोजन के लिए कोई विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना और जहां विधेयक में अंतर्विष्ट प्रस्थापना का प्रभाव राज्यों में से किसी के क्षेत्र, सीमाओं या नाम पर पड़ता है वहां जब तक उस राज्य के विधान-मंडल द्वारा उस पर अपने विचार, ऐसी अवधि के भीतर जो निर्देश में विनिर्दिष्ट की जाए या ऐसी अतिरिक्त अवधि के भीतर जो राष्ट्रपति द्वारा अनुज्ञात की जाए, प्रकट किए जाने के लिए वह विधेयक राष्ट्रपति द्वारा उसे निर्धारित नहीं कर दिया गया है और इस प्रकार विनिर्दिष्ट या अनुज्ञात अवधि समाप्त नहीं हो गई है, संसद् के किसी सदन में पुरःस्थापित नहीं किया जाएगा । [5वां संविधान संशोधन 1955, 7वां संविधान संशोधन 1956 से कुछ शब्द का लोप]
स्पष्टीकरण 1: इस अनुच्छेद के खंड (क) से खंड (ङ) में, “राज्य” के अंतर्गत संघ राज्यक्षेत्र है, किंतु परंतुक में “राज्य” के अंतर्गत संघ राज्य क्षेत्र नहीं है ।
स्पष्टीकरण 2: खड (क) द्वारा संसद् को प्रदत्त शक्ति के अंतर्गत किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के किसी भाग को किसी अन्य राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के साथ मिलाकर नए राज्य या संघ राज्य क्षेत्र का निर्माण करना है। [8वां संविधान संशोधन 1956]

Article 3 In Hindi & English (आर्टिकल 3 क्या कहता है)
Article 3- Formation of new States and alteration of areas
Parliament may by law-
(a) Form a new State by separation of territory from a State or by uniting two or more States or parts of States;
(b) Increase the area of any State;
(c) Diminish the area of any State;
(d) Alter the boundaries of any State;
(e) Alter the name of any State:
Provided that no Bill for the purpose shall be introduced in either House of Parliament except by the Government of India and unless
(a) Either-
(i) A representation in that behalf has been made to the President by a majority of the representatives of the territory in the Legislature of the State from which the territory is to be separated or excluded; or
(ii) A resolution on that behalf has been passed by the Legislature of any State whose boundaries or name will be affected by the proposal to be contained in the Bill; and
(b) Where the proposal contained in the Bill affects the boundaries or name of any State, other than a State for the time being specified in Part III of the First Schedule, the views of the Legislature of the State both with respect to the proposal to introduce the Bill and with respect to the provisions thereof have been ascertained by the President; and where such proposal affects the boundaries or name of any State for the time being specified in Part III of the First Schedule, the previous consent of the State to the proposal has been obtained.
नोट- इसमे कही सारी बाते भारतीय संविधान से ही ली गई है। यानी यह संविधान के शब्द है।
Also See-
Article 3 Explanation
अनुच्छेद 3 (ड्राफ्ट अनुच्छेद 3) पर 17 नवंबर 1948, 18 नवंबर 1948 और 13 अक्टूबर 1949 को बहस हुई। इसने संसद को नए राज्यों के गठन और मौजूदा राज्यों के परिवर्तन से संबंधित कानून बनाने का अधिकार दिया।
एक सदस्य का दृढ़ विश्वास था कि मौजूदा राज्य को बदलने का प्रस्ताव संबंधित राज्य विधानमंडल से होना चाहिए न कि संसद से। राज्य विधानमंडल और राज्य में रहने वाले लोगों से परामर्श किया जाना चाहिए और इस निर्णय में शामिल होना चाहिए। उन्होंने आगे तर्क दिया कि एक ‘लोकतांत्रिक शासन’ को निर्णय के हितधारकों से ‘परामर्श’ करना चाहिए न कि केवल ऊपर से नीचे के आदेश लागू करना चाहिए। मसौदा अनुच्छेद ने अपने वर्तमान स्वरूप में संघवाद से समझौता किया और केंद्र में ‘अनावश्यक’ और ‘अत्यधिक’ शक्ति रखी।
सभी इस प्रस्ताव से सहमत नहीं थे। एक अन्य सदस्य ने कहा कि यह प्रस्ताव अलग राज्यों के लिए अल्पसंख्यक मांगों को दबा देगा क्योंकि एक राज्य को अपने अलगाव का समर्थन करना असंभव होगा। मसौदा समिति के अध्यक्ष ने उनके द्वारा पेश किए गए संशोधन के आलोक में इस प्रस्ताव को अनावश्यक पाया। संशोधन के माध्यम से, उन्होंने इस अनुच्छेद के तहत किसी भी कानून को पारित करने से पहले संबंधित राज्यों से परामर्श करने के लिए राष्ट्रपति की आवश्यकता वाले खंड को शामिल करने की मांग की।
विधानसभा ने मसौदा समिति द्वारा पेश किए गए संशोधनों के साथ मसौदा अनुच्छेद 3 को अपनाया।
तो आपको Article 3 Of Indian Constitution In Hindi की जानकारी कैसी लगी नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। इसमे मैने Article 3 In Hindi & English दोनो भाषाओं मे बताया है। अगर इससे संबंधित कोई प्रश्न हो तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते है।